MY टैग तोड़ने उतरेंगे अखिलेश, मिशन 2024 को ध्यान में रख हर जिले की होगी समीक्षा, नए चेहरों को मौका और हिन्दुत्व पर फोकस

 

विधानसभा चुनाव और 2 लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में मिली शिकस्त से समाजवादियों के हौसले पस्त हैं। पार्टी सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी इसे महसूस कर रहे हैं। अब अखिलेश हर जिले की समीक्षा भी करेंगे। अखिलेश अपने पॉलिटिकल करियर के लिए 2024 लोकसभा चुनाव को महत्वपूर्ण मान रहे हैं। फिलहाल, संगठन को मजबूत करने के लिए वह 5 पॉइंट पर काम कर रहे हैं।

आइए जानते हैं अखिलेश की स्ट्रैटजी…

हम बताते हैं पांच पॉइंट्स में अखिलेश यादव की रणनीति, जो उन्होंने आगामी चुनाव को ध्यान में रखकर अपनाने की सोची है। वह फिलहाल ‘एकला चलो रे’ की नीति में यकीन कर रहे हैं और उनका पूरा जोर इस बात पर है कि सपा जमीनी स्तर पर मजबूत हो।

आइए जानते हैं अखिलेश की स्ट्रैटजी…

हम बताते हैं पांच पॉइंट्स में अखिलेश यादव की रणनीति, जो उन्होंने आगामी चुनाव को ध्यान में रखकर अपनाने की सोची है। वह फिलहाल ‘एकला चलो रे’ की नीति में यकीन कर रहे हैं और उनका पूरा जोर इस बात पर है कि सपा जमीनी स्तर पर मजबूत हो।

1. जिले में संगठन की मजबूती पर फोकस

सपा सदस्यता अभियान चला रही है। पहली बार मुख्यालय से हटकर अभियान की जिम्मेदारी जिले स्तर पर बड़े नेताओं को दी गई है। यह तय करेगा कि आने वाले समय में सपा के सक्रिय सदस्य और नए सदस्यों की संख्या क्या है। इस तरह से मजबूती पर फोकस होगा। सदस्यता अभियान के तहत पूर्व मंत्री इन्द्रजीत सरोज को प्रतापगढ़-कौशांबी, पूर्व सांसद अन्नू टंडन को उन्नाव, लालजी वर्मा को बलरामपुर और लखनऊ में सदस्यता अभियान की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री अरविन्द सिंह गोप को दी गई है।

 2. नए नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी

सदस्यता अभियान में नए नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी है। यह माना जा रहा है कि सदस्यता अभियान के बाद उन्हें जिले से लेकर प्रदेश स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी देंगे। फिलहाल नए नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी देने के साथ-साथ नए कार्यकर्ताओं को जोड़ने का काम कर रहे हैं। समीक्षा बैठक में वह नए पदाधिकारी बनाए जाने पर 5 से 10 नाम भी मांगेंगे। नए नेताओं को जिम्मेदारी देकर उनका कद बढ़ाएंगे। पुराने नेताओं की भूमिका तय करेंगे।

3. जमीन से जुड़ने के लिए खुद उतरेंगे मैदान में

अखिलेश यादव 8 महीने पहले सक्रिय हुए, जिसके बाद से भाजपा ने उन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि सिर्फ चुनाव में नजर आने वाले नेताओं से दूर रहें। अब अखिलेश यादव जिले के नेताओं से मुलाकात करने भी जा रहे हैं। 1 सप्ताह में अखिलेश यादव कन्नौज और जौनपुर में छोटी जनसभा भी कर चुके हैं। अखिलेश उत्तर प्रदेश के 75 जिलों की 80 लोकसभा को लेकर जमीनी स्तर पर खुद उतरेंगे। अगस्त क्रांति दिवस यानी 9 तारीख से सपा गाजीपुर से यात्रा की शुरुआत कर रही है। देश बचाओ देश बनाओ यात्रा का पहला चरण गाजीपुर, बलिया, मऊ, जौनपुर, भदोही होते हुए 27 अक्‍टूबर को वाराणसी में खत्‍म होगा।

4. मुस्लिम और यादव ही केवल वोट बैंक हैं, यह मिथक तोड़ने की तैयारी

समाजवादी पार्टी पर यह सबसे बड़ा आरोप लगता है कि वह केवल मुस्लिमों और यादवों की पार्टी है। यह मिथक तोड़ने के लिए अखिलेश यादव ने मंदिर-मंदिर जाना शुरू कर दिया है। हिंदुओं के होने वाले आयोजन पर खुलकर बोलते हुए दी जा रही सुविधाओं पर भी उन्होंने कोई सवाल तक नहीं उठाया। अखिलेश यादव सावन के महीने में कांवड़ियों के लिए की गई व्यवस्था पर कहते हैं कि धर्म पर राजनीति और बयान नहीं देना चाहिए। सुविधाएं सभी धर्म के लोगों को मिलनी चाहिए। अखिलेश यादव ने परिवारवाद के आरोप को दूर करने के लिए शिवपाल यादव को पार्टी से भी अलग कर दिया है।

5. मंदिरों और त्योहारों से जुड़ने की रणनीति
अखिलेश यादव भाजपा के हिंदुत्व कार्ड को टक्कर देने के लिए मंदिरों में दर्शन कर रहे हैं। हाल ही में अखिलेश यादव ने पत्नी डिंपल के साथ घर पर रुद्राभिषेक किया था। इसकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर आई थीं। अखिलेश ने जौनपुर में पूजा करने की फोटो भी ट्वीट की थी।

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