रेप के आरोप में मिर्ची बाबा गिरफ्तार:रायसेन की महिला ने भोपाल में दर्ज कराया केस; विरोध पर बाबा ने कहा था- बच्चा ऐसे ही होता है
रायसेन की महिला से रेप का आरोपी मिर्ची बाबा उर्फ वैराग्यनंद गिरि कभी ऑयल मिल में काम करता था। उसका असली नाम राकेश दुबे है। उसका छोटा भाई भी संन्यासी है। मिर्ची बाबा का गांव बिरखड़ी भिंड जिले के गोहद नेशनल हाईवे से 6 किमी दूर है। मिर्ची बाबा के पैतृक गांव के जसवंत सिंह से बात की, तो कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आईं।
जसवंत सिंह के मुताबिक, चार भाइयों में तीसरे नंबर का राकेश दुबे 1995 में मेरी ऑयल मिल में तेल निकालने का काम करता था। 1997 में वह गांव के सहसराम जादौन के यहां ऑयल मिल में काम करने लगा। यहां भी मन नहीं लगा तो उसने अपने हिस्से की 4 बीघा जमीन बेचकर बिजनेस करने के लिए ट्रक खरीदा। घाटा हुआ तो ट्रक बेचकर गुजरात के अहमदाबाद चला गया। वहां प्राइवेट फैक्टरी में काम करने लगा। वहां से लौटा तो वह मिर्ची बाबा बन चुका था।
पिता मंदिर में पुजारी थे
राकेश दुबे की मां बचपन में ही गुजर गई थी। पिता अयोध्या प्रसाद दुबे मालनपुर के जय मारुति औद्योगिक क्षेत्र के मंदिर में पुजारी थे। चार भाइयों में राकेश तीसरे नंबर का है। सबसे बड़ा मुकेश (50), रामनिवास (48), फिर राकेश उर्फ मिर्ची बाबा और सबसे छोटा अनिल (43) है। अनिल हाथ-कान से दिव्यांग है।
तीन साल में बना मिर्ची बाबा
राकेश ने अहमदाबाद की फैक्ट्री में कुछ समय तक काम किया। इसके बाद वह गायब हो गया। कैलेंडर में सन् 2000 आ गया था, इस दौरान गांव के ही एक ट्रक ड्राइवर को राकेश इंदौर में मिला, लेकिन उसकी पहचान बदल चुकी थी। उसका नाम वैराग्यनंद गिरि उर्फ मिर्ची बाबा हो चुका था। वह मिर्च की धूनी जलाता था।
भिंड, मुरैना, ग्वालियर में भागवत करने लगा
2013-14 में एक दिन अचानक वह अपने गांव के पास वाले सौंध गांव में भागवत का आयोजन करने पहुंचा। ये इस क्षेत्र में उसकी पहली भागवत थी। इसके बाद वह भिंड, मुरैना, ग्वालियर में घूम-घूमकर भागवत करने लगा। यहीं से वह कांग्रेस नेताओं के संपर्क में आया।
कमलनाथ सरकार में राज्यमंत्री का था दर्जा
मिर्ची बाबा भागवत के अलावा गोशाला भी चलाता है। 2018 के विधानसभा चुनाव के समय वह पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और कमलनाथ से जुड़ गया था। कांग्रेस सत्ता में आई तो उसे राज्यमंत्री का दर्जा मिल गया। कमलनाथ और दिग्विजय से वह मोबाइल का स्पीकर ऑन कर बात करता था। इसका असर ये हुआ कि भिंड, मुरैना और ग्वालियर के कई कांग्रेसी नेता उसके आगे-पीछे चलने लगे 2018 में मिर्ची बाबा के पिता का निधन हुआ तो उसने तेरहवीं में 20 हजार से अधिक लोगों को भोज कराया था। इस तेरहवीं कार्यक्रम में प्रदेश सरकार के कई मंत्री और विधायक शामिल हुए थे। लोकसभा चुनाव 2019 में मिर्ची बाबा ने दिग्विजय सिंह को जिताने साधु-संतों की टीम उतार दी थी। इस दौरान उसने 500 किलो मिर्च का हवन कर सुर्खियां बटोरीं। फिर ये कहते हुए सनसनी फैला दी थी कि दिग्विजय नहीं जीते तो वह जल समाधि ले लेगा। हालांकि, जल समाधि मुद्दे पर उसकी खूब किरकिरी हुई थी।
छोटा भाई संन्यासी
मिर्ची बाबा का छोटा भाई अनिल राजस्थान के धौलपुर में बाबा है। चारों भाइयों में सिर्फ बड़े भाई मुकेश दुबे की ही शादी हुई है। सभी भाई गांव की पैतृक जमीन बेच चुके हैं। एक भाई ग्वालियर के मुरार में रहता है। मिर्ची बाबा ग्वालियर के दंदरौआ मंदिर में भी रह चुका है। वहां उसके साथ एक महिला और बच्चा भी रहते थे, बाद में महिला अपने बच्चे के साथ मिर्ची बाबा के पैसे आदि समेट कर भाग गई थी।