मौसमी बीमारियों की चपेट में राजधानी

भोपाल। राजधानी में मौसम बदलने के साथ ही मौसमी बीमारियां तेजी से फैलने लगी हैं। इनके साथ ही मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियां डेंगू, मलेरिया भी पैर पसारने लगे हैं। जिला मलेरिया अधिकारी अखिलेश दुबे ने कहा कि बारिश के दौरान खुले में रखे बर्तनों में पानी भर जाता है। लगातार पानी गिरने से पुराना पानी निकल जाता है, लेकिन बारिश रुकने से मच्छरों को पनपने का मौका मिलता है। हफ्ते भर के भीतर मच्छर तैयार हो जाते है।
स्वास्थ्य विभाग की एंटी लार्वा टीम के सर्वे में शहर के पांच फीसदी घरों में डेंगू के लार्वा मिल रहे हैं। बारिश के साथ ही खुले में रखे बर्तनों में पानी भरने से तेजी से लार्वा बढ़ेंगे। इस दौरान लार्वा नष्ट करने का काम नहीं किया गया तो डेंगू के मरीज बढऩे बहुत आशंका है। राजधानी की 24 लाख की आबादी के बीच रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की सिर्फ 16 टीमें लगी हैं। एक टीम में तीन कर्मचारी हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है रोकथाम महज खानापूर्ति है। उधर, नगर निगम की तरफ से मच्छर मारने के लिए प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। मच्छर मारने वाली फॉगिंग मशीन भी शहर में कहीं दिखाई नहीं दे रही है। जनवरी से अब तक 3500 घरों में लार्वा मिलने के बाद भी किसी मकान मालिक पर इस साल नगर निगम ने जुर्माना नहीं किया है।
गले में संक्रमण व वायरल बुखार के मरीज बढ़े: जेपी अस्पताल नाक, कान एवं गला रोग विशेषज्ञ डॉ. एके चतुर्वेदी ने बताया कि ओपीडी रोजाना करीब 140 मरीज आ रहे हैं। इनमें आधे मरीज गले में संक्रमण के होते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को भीगने बचना चाहिए। ज्यादा ठंडी चीजें नहीं खाएं। गले में संक्रमण होने पर गुनगने पानी और नमक का गारगिल करें। इसके अलावा वायरल बुखार के भी अस्पतालों में मरीज बढ़े हैं।

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