बाबाओं, कथावाचकों के खजाने पर आयकर की नजर

पिछले वर्ष ‘बाबा’ लोग मीडिया में छाए रहें। एक बाबा का मामला ठंडा नहीं पड़ता कि कोई दूसरा महाकांड कर बैठता है। पहले राम रहीम और अलवर का फलाहारी बाबा उनसे पहले भी कई ‘बाबा’ जेल गएं। अब मामला एक बार फिर सुर्खियों में आने वाला है। देश की आस्थावान जनता को धर्म के नाम पर गुमराह कर बड़े बड़े संत, बाबाओं और कथावाचकों की आय पर अब आयकर की नजर पड गई है। इन बाबाओं की यह लाइन लंबी होती जा रही है। आज के दौर में इन बाबाओं के प्रवचन को सुनने के लिए दूर दराज से लोग अपना सब काम छोड़ कर, घरबार छोड़ कर इनके संतसंगों में प्रवचन सुन अपने मन की शांति को ठूंठने निकल पड़ती है और इन जैसे बाबओं को चाहे घर में खाने को रोटी ना हो, लेकिन चंदे के रूप में धन जरूर दे आती है। यही कारण है कि ‘‘कल के फकड़ बाबा, आज के धनवान बाबा’’ बने चुके है जो अपना आलीशन आश्र्रम, मंहगी से मंहगी गाड़ी, महंगे से महंगे कपड़े खरीदते व पहन कर प्रवचन सुनाते दिखाई पड़ते हैं। आपकों याद होगा कि सत्य साई बाबा की मौत के बाद से उनके खजाने के गुप्त भेद भी खुले थे, पहले दौर की तलाशी में सत्य साईं के कमरे से कुल 38 करोड़ रुपये का खजाना मिला था। सत्य साईं ट्रस्ट के मुताबिक सत्य साईं के खास कमरे से 11 करोड़ 56 लाख 47 हजार रुपए कैश, 98 किलो सोना, 307 किलो चांदी, करोड़ों के हीरे जवाहरात मिले थे। इसके अलावा 2 जुलाई को भी जांच अधिकारियों को सोने, चांदी और हीरे की अंगूठियां मिली थीं जिनकी कुल कीमत 76 लाख 89 हजार आंकी गई थी। इसके बाद आसाराम और रामरहिम की जो दौलत सामने आई थी वह किसी से छूपी नही थी। देश में पिछले कुछ समय में तमाम बड़े-बड़े बाबा कानून के शिकंजे में आए। इनमें से अधिकांश के पास इतना भारी संपत्ति मिली कि खुद उनके यहां जांच करने वाले अधिकारियों की आंखें फटी की फटी रह गई थीं। इन कार्रवाई के बाद यह तो साफ हो गया था कि बाबाओं के आश्रम में ऐश-ओ-आराम की सभी वस्तुएं मौजूद हैं और उनके पास अकूत संपत्ति भी है। इसे देखते हुए आयकर विभाग ने तमाम बाबाओं की फाइल बनानी शुरू कर दी है। एक अनुमान के मुताबिक देश में लगभग एक हजार आश्रम और एक हजार धनवान संत और कथावाचक आयकर विभाग के राडर पर है। जल्द ही विभाग इनके खिलाफ अपनी कार्रवाई शुरू करने जा रहा है। भारत में कथावाचक और आशीर्वाद देकर लोगों के जीवन को पूरी तरह बदलने का दावा करने वाले तथाकथित बाबाओं के बड़े-बड़े राज पिछले कुछ समय में देश के सामने खुले हैं। आयकर विभाग को उनके बारे में सूचनाएं मिल रही हैं और फाइलें लगातार मोटी हो रही हैं। आयकर विभाग की फाइलों में इस समय जिन बाबाओं की कुंडली जमा हो रही है, उनमें से कई के पास बड़े-बड़े अपार्टमेंट भी हैं। आयकर विभाग की फाइलों में इन अपार्टमेंट के फोटो भी हैं। देश में ज्यादातर तथाकथित बाबाओं के खेल छोटे जिलों में चल रहे हैं। वहां भोली भाली जनता को भ्रमित कर इन बाबाओं ने बड़ी संपत्ति बना ली है। आयकर विभाग के पास इन बाबाओं के नाम भी हैं। कुछ बाबाओं के अलग-अलग राज्यों में आश्रम हैं। ये लोग शिष्यों की टोली के साथ एक से दूसरे आश्रम में भी घूमते रहते हैं। इस पर भारी भरकम खर्च के बाद भी कभी कोई टैक्स ना देने की भी शिकायत है। कुछ लोगों ने आश्रम की फोटो भी विभाग को भेजी हैं। आयकर विभाग के पास ऐसे लोग भी शिकायतें कर रहे हैं जो तथाकथित बाबाओं के फेर में भारी नुकसान उठा चुके हैं। अपने लाखों रुपये फूंक चुके पीड़ितों ने भी बाबाओं की संपत्तियों की पूरी सूची भी दी है। बाबाओं की जो फाइल तैयार की गई हैं। उन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा। किस फाइल को किसे भेजा जाएगा, इसकी भी तैयारी कर ली गई है। इन फाइलों में भी कई स्तर बनाए गए हैं। किसी फाइल में इतने साक्ष्य हैं कि आयकर विभाग वहां कार्रवाई कर सकता है और कुछ ऐसी फाइलें हैं जहां अभी काम करने की जरूरत है। वैसे अब तो संतों-महंतों को सीकरी से ही काम हो गया है। लोग संत और सन्यासी के रूप में पूजे जा रहे हैं जिनका संत या सन्यासी भाव से कोई सम्बन्ध नहीं है। हमारी राजसत्ता भी ऐसे पाखंडियों को ही प्रश्रय दे रही है। राजसत्ता को भी संत साधको और वास्तविक सन्यासियों की सुधि नहीं है। वह उन्हें ही महत्व देती है जिनके पास मतावलम्बियों की संख्यात्मक वोट शक्ति हो। ऐसे पाखंडियो को हमारी राजसत्ता ने अब सत्ता का हिस्सा भी बनाना शुरू कर दिया तो सन्यासी की कौन सुने ? एक ब्राह्मण संत करपात्री जी महाराज ने राजनीति में कुछ शुद्धिकरण का प्रयास किया था , राजनीतिक पार्टी भी बनायीं , चुनाव भी जीते , लेकिन कभी अपने लिए न तो कोई महल बनाया और न ही ऐश्वर्य का सामन जुटाया। अंजुरी की भिक्षा से ही जीवन गुजार दिया। यह शाश्वत सत्य है की एक ब्राह्मण जब बाबा बनता है, तो वह शंकराचार्य होता है, धन की लालसा नही होती।किसी का बलात्कार नही करता। कलयुग में इन पाखंडी बाबाओं का ही बोलबाला है। राष्ट्र हित और धर्म के प्रति इनकी कोई निष्ठा नहीं है। यह सिर्फ अपनी दुकान चलाते हैं और कुछ हमारे अपने ही मूर्ख भाई इनके भक्त बनकर ढोंगी बाबाओ और इनके नाम को बढावा देते हैं। जय गुरुदेव(यादव), गुरमीत राम रहीम(जाट), रामपाल(जाट) , राधे मां(खत्री), आशाराम(सिंधी), नित्यानंद (द्रविण) जैसे गैर ब्राह्मणों ने सनातन परंपरा को कलंकित किया है। इससे भारत की विश्व गुरु की साख को धक्का लगा है। विश्व के अनेक देश भारत की खिल्ली उड़ा रहे है । बाबाओ ने किया देश का बेडा गर्क और ब्राम्हण तो जबरदस्ती बदनाम हो रहे है। धर्म का व्यवसाय खूब फल फूल रहा है । कतिपय अपवादों को छोड़कर इन सब प्रमुख धर्माचार्यों के ईश्वर के सम्बन्ध में न केवल विचारों तथा मान्यताओं में पर्याप्त मतभेद है वरन उनकी वेश भूषा में भी विविधता के साथ पाखंड झलकता है । हर एक का अपना ड्रेस कोड है । कोई श्वेवतवस्त्रधारी है तो कोई केसरिया , भगवा , कोई नीला तो कोई पीला , कोई रेशमी स्टाइलिस्ट रंग का चोला , कोई सूती राम नमी दुपट्टा , कोई केशधारी तो कोई सफाचट , किसी के मस्तक पर मात्र चन्दन कि बिंदी तो किसी का पूरा मस्तक तथा भुजाएं चन्दन कि विभिन्न आकृतियों से अलंकृत रहते हैं ।आज के अधिकांश धर्माचार्य वायुयान सेअपनी पूरी टीम तथा आर्केस्ट्रा के साथ उपदेश देने के लिए निकलते हैं। इनका अपना प्रेस है, अपनी पुस्तकें हैं ,अपने भजन के कैसेट हैं, जिसका व्ययसाय भी साथ-साथ चलता रहता है । इनके पास करोडो कि संपत्ति है अतः इनके बैठने के सिंघासन भी सोने चांदी के बने होते हैं। उन पर मखमली गद्दे पड़े होते हैं। ऐसा लगता है कि ईश्वर को भी इन धर्माचार्यों ने अपने-अपने हिसाब से बाँट लिया हो । धर्म ठगी का व्ययसाय बन गया है। लेकिन अब यह ठगी का धंधा बंद होने जा रहा है जिस तरह से आयकर विभाग तैयारी कर रहा है उसे देखकर लगता है कि टीवी पर लम्बे लम्बे उपदेश देने वालों के पास आए अथाह धन का स्त्रोंत क्या है। इस पर आयकर कितना बनता है। कही धर्म और आस्था के नाम पर काला धन इनके मार्फत सफेद तो नही किया जा रहा है। इन सब बाॅतों पर आयकर विभाग काम कर रहा है। भले ही देर से काम शुरू हुआ हो लेकिन यह काम वाकई देश हित में होने जा रहा है।

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