क्या बंद होंगी फ्री बिजली और Wifi जैसी स्कीम्स,सुप्रीम कोर्ट आज कर सकता है फैसला 

 

 

सुप्रीम कोर्ट आज फ्रीबीज के मुद्दे पर फैसला सुना सकता है। दरअसल भारत में फ्रीबीज या फ्री स्कीम्स को लेकर पिछले कुछ दिनों से घमासान मचा हुआ है। केंद्र राज्यों से फ्रीबीज पर लगाम लगाने की अपील कर रहा है। वहीं दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, तमिलनाडु की DNK और आंध्र की YSR कांग्रेस पार्टियां फ्रीबीज मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र को चुनौती दे रही हैं।

BJP नेता ने जनवरी 2022 में दायर की जनहित याचिका

जनवरी 2022 में BJP नेता अश्विनी उपाध्याय फ्रीबीज के खिलाफ एक जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। अपनी याचिका में उपाध्याय ने चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों के वोटरों से फ्रीबीज या मुफ्त उपहार के वादों पर रोक लगाने की अपील की थी। इसमें मांग की गई है कि चुनाव आयोग को ऐसी पार्टियां की मान्यता रद्द करनी चाहिए।

केंद्र सरकार ने अश्विनी से सहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट से फ्रीबीज की परिभाषा तय करने की अपील की। केंद्र ने कहा कि अगर फ्रीबीज का बंटना जारी रहा, तो ये देश को ‘भविष्य की आर्थिक आपदा’ की ओर ले जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट में अब तक क्या-क्या हुआ?

फ्रीबीज मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना की अगुआई वाली जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली की तीन सदस्यीय बेंच कर रही है। चलिए स्टेप बाइ स्टेप जान लेते हैं कि इस मामले की सुनवाई में अब तक क्या हुआ है…

03 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्रीबीज मुद्दे पर फैसले के लिए एक समिति गठित की जानी चाहिए। इसमें केंद्र, राज्य सरकारें, नीति आयोग, फाइनेंस कमिशन, चुनाव आयोग, RBI, CAG और राजनीतिक पार्टियां शामिल हों।

11 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘गरीबों का पेट भरने की जरूरत है, लेकिन लोगों की भलाई के कामों को संतुलित रखने की जरूरत है, क्योंकि फ्रीबीज की वजह से इकोनॉमी पैसे गंवा रही है। हम इस बात से सहमत हैं कि फ्रीबीज और वेलफेयर के बीच अंतर है।’

17 अगस्त 2022: कोर्ट ने कहा, ‘कुछ लोगों का कहना है कि राजनीतिक पार्टियों को वोटर्स से वादे करने से नहीं रोका जा सकता है…अब ये तय करना होगा कि फ्रीबीज क्या है। क्या सबके लिए हेल्थकेयर, पीने के पानी की सुविधा…मनरेगा जैसी योजनाएं, जो जीवन को बेहतर बनाती हैं, क्या उन्हें फ्रीबीज माना जा सकता है?’ कोर्ट ने इस मामले के सभी पक्षों से अपनी राय देने को कहा।

23 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा और कुछ अहम फैसला दे सकता है।

फ्रीबीज के मुद्दे पर चुनाव आयोग ने पल्ला झाड़ा

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि फ्रीबीज पर पार्टियां क्या पॉलिसी अपनाती हैं, उसे रेगुलेट करना चुनाव आयोग के अधिकार में नहीं है। चुनावों से पहले फ्रीबीज का वादा करना या चुनाव के बाद उसे देना राजनीतिक पार्टियों का नीतिगत फैसला होता है। इस बारे में नियम बनाए बिना कोई कार्रवाई करना चुनाव आयोग की शक्तियों का दुरुपयोग करना होगा।

 

 

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