रात को उठकर खाता 35 किलो खाना,महमूद बेगड़ा नाश्ते में लेता था 150 केले-समोसे

 

गुजरात में एक सुल्तान हुआ करता था-जिसका नाम महमूद शाह (प्रथम) था। इस सुल्तान ने उस वक्त के गुजरात के अभेद्य किले गिरनार और चंपानेर को जीता तो उसे लोग ‘महमूद बेगड़ा’ के नाम से बुलाने लगे। वह दरबार में बैठा बात करते-करते तकरीबन 35 किलो खाना खा जाता था। यहां तक कि वह नाश्ता भी इतना भारी करता था कि उतने में एक कुनबे का पेट भर जाए। वह नाश्ते में एक कटोरा शहद, कटोरा भर मक्खन और 150 केले खा जाता। उसे इतनी भूख लगती कि रात को उसके बिस्तर के सिरहाने दोनों तरफ खाना रखा रहता, जिसमें चिकन और मटन के समोसे भी होते। दरअसल, सल्तनत चलाने की जिम्मेदारियों से दबा बादशाह इतना परेशान रहता कि वह जज्बाती होकर खाता ही जाता था। यह कहानी सुनकर लगता है कि इमोशनल ईटिंग 700 साल पहले भी थी, जिसके बारे में हम आज बात करने जा रहे हैं।

चलिए जानते हैं आज के दौर में इमोशनल ईटिंग की शक्ल क्या है?
इमोशनल ईटिंग, एक ऐसी आदत जिसमें आधी रात को भूख लगे। आप नाश्ते के डिब्बे खंगालें और फ्रिज का दरवाजा बार-बार खोलें। इंस्टाग्राम पर पिज्जा, पास्ता, बर्गर देखकर मुंह में पानी भर जाए। अचानक से भूख जगे। वर्चुअल फ्रेंच फ्राइज डायरेक्ट मुंह में आ जाएं, ऐसे में फूड एप्स स्क्रॉल करने की जबरदस्त इच्छा जगे और इमोशन्स की उथल-पुथल से लगी इंस्टैंट भूख को मिटाने की जल्दी में ‘झटपट पकाओ और खाना सीधे मुंह में डालो’। वाला मन होता है।

कई बार आप गुस्से, उदासी, डर, गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप और पार्टनर से झगड़कर ऊट-पटांग खा लेते हैं। एक्साइटमेंट में भी बैक टु बैक गुलाब जामुन या समोसे ठूंस लेते हैं और कुछ ही मिनट बाद अफसोस भी करने लगते हैं। ‘हे भगवान! इतना क्यों खा लिया?’ कभी-कभी ये भी सुनने को मिलता है, ‘क्यों खाया, माल पराया था, पर पेट तो अपना था’, लेकिन कुछ समय बाद इन सभी आदतों का साइड इफेक्ट हमारे शरीर पर चढ़कर बोलने ही नहीं, दिखने भी लगता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.