जहानाबाद/फतेहपुर।संक्रामक रोग किसी को भी और कभी भी हो सकते हैं। इन रोगों के फैलने का सबसे अनुकूल मौसम वर्षा या उसके बाद का है। इस समय हर तरफ सड़न व सीलन होती है, इसलिए रोगाणु, विषाणु खूब पनपते हैं। लोग मौसम की मार से त्रस्त हो जाते हैं इसलिए शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। जिसके फलस्वरुप अधिकांश मौतें संक्रामक बीमारियों के कारण ही होती हैं। इसका एक बड़ा कारण रहन-सहन के खराब हालात जिनमें दूषित पेयजल, मकान के आसपास तथा अंदर जलभराव, गंदगी के साथ-साथ बासी भोजन का प्रयोग, सड़े गले फलों व बाजारू खुली खाद्य सामग्री का सेवन प्रमुख रूप से शामिल है। जलभराव एवं गंदगी में ही मच्छरों का प्रकोप बढता है। ऐसे में जुकाम, बुखार, मलेरिया,उल्टी, दस्त एवं शरीर में पानी की कमी, टाइफाइड सहित लोग डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। सही समय पर और सही उपचार न मिलने के कारण काल के गाल में समा जाते हैं। संक्रामक बीमारियों के लक्षण एवं बचाव के उपाय बताते हुए पीएचसी देवमई में कार्यरत चिकित्साधिकारी डॉ. जेपी वर्मा ने बताया कि संक्रामक बीमारी के लक्षण मिलते ही सही समय पर सही उपचार लोगों को काल के गाल में समाने से बचा सकता है। जिसके लिए मरीज को चाहिए कि तत्काल अपने नज़दीकी सीएचसी एवं पीएचसी में कार्यरत डॉक्टरों को दिखा कर निःशुल्क उपचार कराएं।
इनसेट-
संक्रामक बीमारी के लक्षण
-तेज बुखार आना
– जी मिचलाना तथा पेट में दर्द
– पूरे शरीर में दर्द
– आंखों में दर्द तथा बदन में ऐठन
-मुंह सूखना एवं बार-बार प्यास लगना तथा घबराहट होना
इनसेट-
संक्रामक बीमारी से बचाव
– पानी साफ सुथरा एवं उबालकर ही पिएं
– मच्छरदानी का प्रयोग करें
– फुल आस्तीन की शर्ट एवं जूते मोजे पहनकर बदन को ढक कर रखें
– अपने मकान एवं उसके आसपास जलभराव तथा गंदगी न रहने दें
– बासी भोजन खासकर चावल एवं बाजारू खाद्य सामग्री का कतई सेवन न करें
– बुखार आने पर केवल पैरासिटामोल टेबलेट का ही प्रयोग करें एनाल्जेसिक कोई भी दवा कतई न लें
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