हिंदी को राष्ट्र भाषा घोषित किया जाए – अपनी धरोहर संरक्षित करने के लिए आगे आएं युवा

खागा/फतेहपुर। हिंदी दिवस पर वाणी साहित्य संस्थान ने कविता पाठ और अपनी धरोहरों के संवर्धन हेतु संवाद आयोजित किया। डा. ब्रजमोहन पाण्डेय विनीत की अध्यक्षता में उनके आवास में आयोजित कार्यक्रम में कवियों ने अपने विचार रखें और कविता पाठ भी किया।
डा. विनीत ने कहा कि भाषा ही हमको मनुष्य बनाती है। किसी शब्द की उत्पत्ति में उसके गुण धर्म होते हैं। विश्व में हिंदी की पैठ है। हिंदी में सात लाख शब्द है। हिंदी जैसी भाषा विश्व में कोई नहीं है। बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय ने कहा कि हमे अपनी प्राचीन धरोहरों के संरक्षण हेतु प्रखर हस्ताक्षर बनने की जरूरत है। सरकारें आएंगी जाएंगी लेकिन हमारी धरोहरें संरक्षित होनी चाहिए। उन्होने हिंदी को राष्ट्र भाषा घोषित किए जाने की मांग उठाई। कवि डा. धर्मचंद्र मिश्र कट्टर, अखिलेश चंद्र शुक्ल,श्याम सनेही गुप्ता, सनेही, कमलेश सिंह ने अपना पाठ किया। मुख्य रूप से केदारनाथ शुक्ला,डा राजेंद्र सिंह, राम प्रताप सिंह, नास्त्रोदमस त्रिपाठी,रामचंद्र सिंह, अजय आदि रहे।

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