फतेहपुर। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन पूजन को मंदिरो एवं दुर्गा पंडालो में भक्तों की भीड उमड़ी। पंडालों में प्रतिमांओ की स्थापना की गयी। देर शाम तक मां के जयकारों से वातावरण गुंजाएमान रहा। आरती के बाद आये हुये श्रद्धालुओं को प्रसाद का वितरण किया गया। पूजा-अर्चना से पहले पंडालों में मां शेरावली की प्राण प्रतिष्ठा व हवन-पूजन भी किया गया।
शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन मां दुर्गा की प्रथम शक्तियो का स्वरूप शैलपुत्री है। पर्वतराज हिमालय के यहा जन्म लेने से भगवती को शैलपुत्री कहा गया। भगवती का वाहन बैल है दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाये हाथ में कमल है। मां के इसी स्वरूप का पूजन किया जाता है। दुर्गा पंडालो एवं घरों में मृतिका से बेदी बनकर उसमें जौ, गेहू व कलश की स्थापना की गयी। शैलपुत्री के पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है। जिससे अनेक प्रकार की उपलब्धियां प्राप्त होती है। मां के इस स्वरूप के पूजन से मूलाधार चक्र जागृत होता है। अपने पूर्व जन्म से प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुयी थी। तब इनका नाम सती था। विवाह भगवान शंकर से हुआ था। एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बडा यज्ञ किया। इसमें उन्होने सभी देवताओ को अपना-अपना यज्ञ भाग प्राप्त करने के लिये निमत्रित किया लेकिन शंकर जी को उन्होने इस यज्ञ मे निमत्रित नही किया। पिता की यज्ञ के आमंत्रण न आने पर भी आकुलता जतायी। भगवान शंकर ने जाने की अनुमति दे दी लेकिन वहां पहुंच कर उन्होने देखा कि उनसे कोई भी आदर व प्रेम से नही मिल रहा है। शैलपुत्री ने देखा कि उनके पिता द्वारा पति को अपमानजनक शब्द भी कहे। जिससे उनके मन को भारी क्लेश हुये। वह अपने पति के अपमान को सहन न कर सकी तथा अपने उस रूप को तत्क्षण वही योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। घटना सुन शंकर जी क्रुद्ध होकर गणो से दक्ष के यज्ञ का पूर्णतः विध्वस करा दिया। अगले जन्म मे शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप मे जन्म लिया मां के इस स्वरूप मे दर्शन पूजन को लेकर मन्दिरो एवं दुर्गा पण्डालो में भक्तो की भारी भीड़ उमडी तथा देर रात तक पूजन अर्चन जारी रहा। शहर के 118 स्थानों में शादीपुर, पथरकटा, पटेलनगर चौराहा, स्टेशन रोड, गंगा नगर कालोनी, राधानगर, चौधराना, आबूनगर, शीतला मंदिर, चौक हनुमान मंदिर, लाठी मोहाल, अरबपुर, पीरनपुर, कलक्टरगंज, जीटी रोड महारथी, पक्का तालाब सहित अन्य क्षेत्रो के पण्डालो में देर रात तक श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा।