राजस्थान में गौवंश के लिए काल बनकर आया लंपी वायरस अब हिरणों में फैल रहा है। पिछले डेढ़ महीने में इस बीमारी से 35 हिरण संक्रमित हुए, जिसमें से 25 की मौत हो चुकी है। इस खबर के बाद से पशुपालन विभाग में खलबली मच गई है। आनन-फानन में मौके पर टीम भेजी गई है। सैंपल लिए जा रहे हैं।
आइए… बताते हैं कि लंपी हिरणों में फैलने का दावा किसने किया और किस आधार पर किया है? हिरणों में लंपी फैलने के दावे की हकीकत जानने के लिए हम आपको बाड़मेर से करीब 73 किमी दूर कातरला ले चलते हैं। यहां अमृता देवी वन्य जीव संरक्षण संस्थान है। यहां वन्य जीवों का इलाज किया जाता है। बाड़मेर के धोरीमन्ना नेशनल हाईवे पर स्थित इस रेस्क्यू सेंटर में 130-135 हिरण थे।
7-8 हिरण अब भी संक्रमित
अमृता देवी वन्य जीव संरक्षण संस्थान के संचालक किशोर भादू कहते हैं- हिरणों के अलावा रेस्क्यू सेंटर में कबूतर, नीलगाय, खरगोश, मोर भी हैं। पिछले डेढ़ महीने से हिरणों में लंपी स्किन के लक्षण दिख रहे हैं। हमारे रेस्क्यू सेंटर में 135 हिरण थे, जिसमें 35 हिरणों में इस बीमारी के लक्षण पाए गए थे। एक महीने में 25 हिरणों की मौत हो चुकी है। 7-8 हिरण अभी भी लंपी से संक्रमित हैं।
प्रशासन से नहीं मिल रही मदद
संस्थान के संचालक किशोर भादू की मानें तो हिरणों में लंपी के लक्षण दिखने के बाद भी सरकारी मदद नहीं मिल रही है। वर्तमान में 110 के आसपास हिरण बचे हैं। रेस्क्यू सेंटर में संस्थान अपने स्तर पर ही संक्रमित हिरणों का इलाज करवा रहा है।
हिरणों में लंपी स्किन के ये लक्षण
संस्था से जुड़े प्राइवेट डॉक्टर राजेंद्र खिलेरी कहते हैं- 10 महीने से रेस्क्यू सेंटर जा रहा हूं। डेढ़ माह से हिरण में लंपी स्किन डिजीज जैसे लक्षण दिख रहे हैं। पैरों में सूजन के बाद कीड़े पड़ना, आंखों व शरीर पर गांठें बन रही हैं, इसके बाद ये फूट रही हैं। इसमें मवाद (पस) बन रहा है। नाक से पानी बहना सहित कई लक्षण और हैं, जो लंपी से मिलते-जुलते हैं।
ढाई साल से चल रहा है रेस्क्यू सेंटर
अमृता देवी वन्य जीव संरक्षण संस्था 2019 में बनी है। करीब ढाई साल हो गए। संस्था के अध्यक्ष जगदीश भादू और संचालक किशोर भादू हैं। करीब 15 युवाओं की टीम है। यह संस्था विभिन्न हादसों में घायल वन्य जीवों को बचाकर उनका इलाज करवाती है। साथ ही, ठीक होने तक इसी रेस्क्यू सेंटर में रखा जाता है।