16 करोड़ के इंजेक्शन से बचेगी मासूम की जान, पिता बोले- सिर्फ 4 महीने का वक्त है,अभी 40 हजार ही जमा हुए

 

 

ये परिवार शहर के कानीपुरा इलाके में रहता है। 15 फरवरी 2021 को उनके घर बच्चे का जन्म हुआ। नाम रखा अथर्व। घर में अथर्व के आने का खूब जश्न मना। 5 साल की प्रतीक्षा छोटे भाई के नाजुक हाथों को छूकर फूली नहीं समाती है। लेकिन परिवार अपने बेटे के इलाज के लिए परेशान है।

हड्डियां इतनी कमजोर कि बैठ भी नहीं पाता
अथर्व डेढ़ साल का हो चुका है, इस उम्र के बच्चे अपने पैरों पर चलने लगते हैं, लेकिन इस बीमारी ने अथर्व काे लाचार बनाकर रख दिया है। वह चलना-फिरना तो दूर उठ-बैठ भी नहीं सकता है। अब उसका सहारा उसकी मां ही है। पवन ने बताया कि मैं प्राइवेट जाॅब करता हूं। पत्नी भावना हाउसवाइफ है। 5 साल की बेटी है, जो स्कूल जाती है।

पत्नी के दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे होती है। सबसे पहले वह मेरा और बच्ची का टिफिन तैयार करती है। इसके बाद दिनभर भावना अथर्व की ही देख-रेख में लगी रहती है। बेटे की रीढ़ की हड्‌डी बेहद कमजोर है। बैठाओ तो कुछ देर में ही वह आगे की ओर गिर जाता है।

इलाज के लिए सिर्फ 4 महीने का वक्त
डॉक्टर्स का कहना है, मासूम अथर्व की बीमारी का इलाज तो है, लेकिन उसके लिए उसे 16 करोड़ रुपए के एक इंजेक्शन जोलगेन्स्मा की जरूरत है। मासूम की जिंदगी बचाने के लिए माता-पिता ने कलेक्टर, विधायक, सांसद, मंत्री और मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मदद की गुहार लगाई है। माता-पिता क्राउड फंडिंग की मदद भी ले रहे हैं। कुछ लोगों ने मासूम के लिए सोशल मीडिया पर भी मदद की मुहिम चलाई है। इंपेक्ट गुरू ऐप के माध्यम से अभी तक मात्र 40 हजार रुपए ही जमा हुए हैं। इलाज की जल्दी इसलिए भी है, क्योंकि यह इंजेक्शन दो साल की उम्र तक ही लगता है। अभी अथर्व की उम्र 20 माह है, ऐसे में अब सिर्फ चार महीने का ही समय है।

अब जानिए क्या है SMA बीमारी?
स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी (SMA) बीमारी वाले बच्चों के शरीर में प्रोटीन बनाने वाला जीन नहीं होता। इससे मांसपेशियां और तंत्रिकाएं (Nerves) खत्म होने लगती हैं। दिमाग की मांसपेशियों की एक्टिविटी भी कम होने लगती है। ब्रेन से सभी मांसपेशियां संचालित होती हैं, इसलिए सांस लेने और खाना चबाने तक में दिक्कत होने लगती है। SMA कई तरह की होती है। Type-1 सबसे गंभीर बीमारी होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक SMA बीमारी के इलाज के लिए देश में अभी तक 5 और दुनिया में करीब 600 बच्चों को जोलगेन्स्मा का इंजेक्शन लगा है। जिन्हें लगा है उन्हें भी 60% ही फायदा मिला है।

SMA-2 से पीड़ित बच्चे आमतौर पर सहारे के बिना बैठना सीख लेते हैं, पर वे बिना सहायता के खड़े होना या चलना नहीं सीख पाते हैं। बच्चे का जीवित रहना मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि उसे सांस लेने और निगलने में किस स्तर की कठिनाई होती है। SMA टाइप-3 इस बीमारी का एक अपेक्षाकृत हल्का रूप है।

क्या है इंजेक्शन की खासियत?
इस बीमारी के इलाज के लिए जरूरी अमेरिकी कंपनी के इंजेक्शन जोलगेन्स्मा की कीमत करीब 16 करोड़ रुपए है। इसकी खासियत यह है कि यह उन जीन को निष्क्रिय कर देता है, जो मांसपेशियों को कमजोर कर उन्हें हिलने-डुलने और सांस लेने में समस्या पैदा करती हैं। साथ ही वह बच्चों के सामान्य शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी प्रोटीन का उत्पादन भी करता है।

कैंसर से भी खतरनाक है बीमारी
SMA-2 
कैंसर से भी खतरनाक बीमारी है। इसका इलाज बेहद महंगा है। इस बीमारी के कारण छाती की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और सांस लेने में कठिनाई होती है। इस बीमारी के लिए जिम्मेदार जीन शरीर में तंत्रिका तंत्र के सुचारु रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक प्रोटीन के निर्माण को बाधा पहुंचाता है, जिससे तंत्रिका तंत्र नष्ट होता है। यह मांसपेशियों को बर्बाद कर देती है। इस बीमारी से ग्रसित होने के बाद बच्चे के अंदर दिन व दिन समस्या तेजी से बढ़ती है। पीड़ित बच्चों की मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि वह हिलने-डुलने लायक तक भी नहीं रहते हैं। सांस लेने के लिए भी वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। इसके लिए एकमात्र इंजेक्शन कारगर होता है, जिससे बच्चे की आयु बढ़ सकती है, लेकिन वह इंजेक्शन खरीदना इतना आसान नहीं है।

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