सही दिशा में की गई पहल चमत्कारी बदलाव ला सकते हैं. छोटे-छोटे प्रयास कैसे बड़े परिवर्तन के वाहक हो सकते हैं, इसकी एक बानगी बिहार के गया जिले में देखने को मिली. जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर बांके बाजार प्रखंड के सुदूरवर्ती भोक्तौरी गांव में वर्षों से बच्चे दिव्यांग पैदा हो रहे थे, लेकिन यहां सरकार की एक योजना ने पूरे गांव की तस्वीर बदल दी है. इसका नतीजा हुआ कि जन्म लेने वाले बच्चों में दिव्यांगता की शिकायत खत्म हो गई है. हालांकि, 25 वर्ष से अधिक उम्र के लोग अभी भी यहां स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं.
भोक्तौरी गांव में 15 से 20 लोग दिव्यांगता की मार झेल रहे हैं. दो साल का बच्चा से लेकर 60 साल के वृद्ध तक इसके शिकार हैं. गांव में दिव्यांगता के बढ़ते मामलों को देखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा गांव में स्वास्थ्य शिविर लगवाया गया. इस दौरान कराई गई जांच में पता चला कि गांव के पानी में समस्या है. इसमें फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने के कारण बच्चे दिव्यांग पैदा हो रहे हैं
सरकार की पहल से बदली तस्वीर
दिव्यांगता का कारण पता चलने पर जिला प्रशासन के द्वारा इस समस्या को दूर करने के लिए गांव में नल, जल योजना के साथ-साथ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया. इसमें पानी को ट्रीट कर घर-घर सप्लाई शुरू की गई जिसके बाद ग्रामीण इसी पानी का उपयोग करने लगे. सरकार की इस पहल का गांव में चमत्कारी असर देखने को मिला. पिछले दो साल से यहां पैदा हुए बच्चों में दिव्यांगता की शिकायत नहीं आ रही है.
लेकिन अब भी परेशान हैं लोग
सरकार की इस पहले से ग्रामीण काफी खुश हैं, लेकिन लंबे समय से फ्लोराइड युक्त पानी का सेवन करने से लोग कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं. इससे निजात पाने के लिए उन्हें सरकार से आस है. 25 से ज्यादा उम्र के ज्यादातर लोगों की हड्डियां कमजोर हो गई हैं. शरीर में लगातार दर्द की शिकायत रहती है. बच्चा से लेकर वृद्ध के दांतों में पीलापन आ गया है. यहां के लोग गांव में स्वास्थ्य शिविर की मांग कर रहे हैं. ताकि उनकी सेहत की जांच हो सके.