नई दिल्ली । सीमा नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर इस साल 747 बार सीजफायर उल्लंघन का सामना कर चुकी भारतीय सेना अपने प्रभुत्व की रणनीति जारी रखेगी। साथ ही कश्मीर में आतंकरोधी कार्रवाइयों के दौरान होने वाली क्षति को कम करने की भी कोशिश करेगी। आर्मी कमांडरों के कांफ्रेंस में इन मुद्दों के साथ कट्टर युवाओं को मुख्यधारा में वापस लाने की जरूरत पर जोर दिया गया। साथ ही आतंकवाद विरोधी अभियानों को बाधित करने वाली पत्थरबाजी की घटनाओं की भी समीक्षा की गयी।
शांति स्थापित करने की प्रक्रिया पर जोर
डायरेक्टर जनरल (स्टाफ ड्यूटी) लेफ्टिनेंट जनरल ऐके शर्मा ने शुक्रवार को बताया, ‘कमांडरों को लगता है कि शांति स्थापित करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए… साथ ही कट्टरपंथ की राह पर निकले युवाओं को सामूहिक प्रयास से मुख्यधारा में लाया जाना चाहिए, इससे युवाओं को हिंसा और बंदूक संस्कृति से दूर करने में मदद मिलेगी।’
अब तक 747 सीजफायर
778 किमी लंबे एलओसी पर इस साल मात्र 110 दिनों में 747 सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं हुईं। यह आंकड़ा पिछले 15 साल की तुलना में सबसे ज्यादा है। यह कहना गलत नहीं है कि सीजफायर उल्लंघन की घटनाओं में इजाफा हुआ है। सितंबर 2016 की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के बाद सीमा पार शत्रुता में वृद्धि के साथ एलओसी पर 860 सीजफायर उल्लंघन हुआ और 2017 में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 120 घटनाएं हुईं। कांफ्रेंस में सेना के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘हम तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक पाकिस्तान भारत में आतंक का निर्यात रोकने के लिए ठोस कदम उठाता।’
आंकड़ों के अनुसार, इस साल 40 से अधिक युवाओं ने जम्मू में आतंक का रास्ता चुना, जो पिछले साल 128 था। वहीं इस साल अब तक 51 आतंकियों को मारा जा चुका है, जबकि इन ऑपरेशंस में 27 जवान भी शहीद हुए हैं।
एलओसी का भी हुआ जिक्र
कॉन्फ्रेंस में चीन के साथ लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैले ‘लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल’ की 4057 किलोमीटर लंबी रेखा पर ऑपरेशनल स्थिति पर भी चर्चा हुई। ले. जनरल शर्मा ने कहा, ‘सीनियर कमांडरों ने उत्तरी सीमाओं के साथ मौजूदा स्थिति की लंबाई पर विचार-विमर्श किया। साथ ही क्षमता निर्माण के प्रयासों, बुनियादी ढांचे के विकास और उपायों को आवश्यक प्रोत्साहन देने पर भी चर्चा की।’