नई दिल्ली । । बारिश की वजह से दिल्लीवासियों को दो दिन साफ हवा में सांस लेने का मौका मिला, लेकिन अब बारिश का असर खत्म होने वाला है। सफर इंडिया के पूर्वानुमान के मुताबिक, वायु प्रदूषण का स्तर एक बार फिर से बढ़ने वाला है। सप्ताहांत में लोगों को प्रदूषण परेशान करेगा। पीएम 2.5 व पीएम 10 का स्तर सामान्य से काफी अधिक रहेगा। इसकी वजह तेज हवा के साथ उड़ने वाली धूल होगी। सीपीसीबी के मुताबिक, बृहस्पतिवार को दिल्ली का एयर इंडेक्स 156 रहा। लेकिन, सफर के मुताबिक, शुक्रवार को यह बढ़कर 221 पहुंच सकता है। वहीं, पीएम 10 का स्तर 222 एमजीसीएम और पीएम 2.5 का स्तर 97 एमजीसीएम रह सकता है। जबकि शनिवार को पीएम 10 का स्तर 263 और पीएम 2.5 का स्तर 114 पहुंच सकता है। वहीं, ईपीसीए के अनुसार मौसम विभाग, स्थानीय निकायों और सभी विभागों को प्रदूषण कम करने के लिए व्यापक कदम उठाने के लिए कहा गया है। मई में पिछले साल भी दिल्ली वालों ने कुछ दिन बेहद खराब श्रेणी की हवा में सांस ली थी
प्रदूषण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य पर प्रदूषण के दुष्प्रभाव की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है। डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में आगाह किया है कि प्रदूषण सांस की बीमारियों के अलावा हृदय व फेफड़े के कैंसर से होने वाली मौतों का भी बड़ा कारण बन रहा है। इस बीच दिल्ली में मृत्यु पंजीकरण रिपोर्ट के आंकड़ों से यह बात सामने आई है कि राजधानी में पिछले 12 सालों में दिल की बीमारियों से मौत के मामले दोगुने बढ़े हैं। वहीं, कैंसर से होने वाली मौतों में करीब तीन गुना वृद्धि देखी जा रही है। विशेषज्ञ इन बीमारियों के बढ़ने का एक बड़ा कारण प्रदूषण को मान रहे हैं।
दिल्ली में मौत का सबसे बड़ा कारण
रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में हृदय की बीमारी मौत का सबसे बड़ा कारण है। वर्ष 2016 में हार्ट अटैक व हृदय की बीमारियों से 16,665 लोगों की मौत हुई, जिसमें 15,919 लोगों की मौत अस्पतालों में हुई थी। पहले दिल्ली में कैंसर से हर साल करीब दो हजार लोगों की मौत होती थी मगर अब यह आंकड़ा बढ़कर 6000 के आसपास पहुंच गया है। वर्ष 2011 में ऐसा भी वक्त था जब यहां कैंसर से 9925 मरीजों की मौत हुई थी। हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक 10 में से नौ लोगों को सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा नहीं मिल पा रही है। यह खतरनाक स्थिति है प्रदूषण को दुनिया भर में 70 लाख लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। गैर संक्रमित बीमारियों के बढ़ने का यह भी एक कारण है।
29 फीसद मौत का कारण प्रदूषण
हृदय की बीमारियों से होने वाली 24 फीसद, स्ट्रोक से 25 फीसद व फेफड़े के कैंसर से होने वाली 29 फीसद मौत का कारण प्रदूषण है। बत्रा अस्पताल के बत्रा हार्ट सेंटर के चेयरमैन डॉ. उपेंद्र कौल ने कहा कि दिल्ली में हृदय की बीमारियों के बढ़ने के वैसे तो कई कारण हो सकते हैं, जिसमें जीवनशैली भी शामिल है पर एक कारण प्रदूषण भी है। वातावरण में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 या उससे सूक्ष्म कण फेफड़े में फिल्टर नहीं हो पाते हैं। वह खून के साथ धमनियों में पहुंचकर चिपक जाते हैं। इस वजह से रक्त का थक्का बनने लगता है। ऐसी स्थिति में हार्ट अटैक हो सकता है।