मुंबई : भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से विकसित दुनिया की सबसे तेज गति की मिसाइल ब्रह्मोस अगले दशक में और ज्यादा घातक स्वरूप में सामने आ सकती है। इसकी रफ्तार मैक सेवन से भी ज्यादा हो सकती है। अर्थात यह आवाज की रफ्तार से सात गुना से भी ज्यादा तेज गति से दुश्मन की तरफ बढ़कर उसे बर्बाद करेगी। यह गति करीब 9,000 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी। यह हाइपरसोनिक मिसाइल की श्रेणी में आ जाएगी और इसे निष्फल कर पाना असंभव होगा।
ब्रह्मोस के सीईओ ने बताया कि भारतीय संस्थान रक्षा अनुसंधान विकास परिषद (डीआरडीओ), आइआइटी और भारतीय विज्ञान संस्थान इस परियोजना पर हमारे साथ काम कर रहे हैं। इसी तरह का सहयोग रूसी संस्थाएं भी दे रही हैं। उन्होंने बताया कि संयुक्त उपक्रम में डीआरडीओ की भागीदारी 55 फीसद की है, जबकि 45 प्रतिशत रूस की है। कंपनी के पास इस समय 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के ऑर्डर हैं।
मिश्र ने बताया कि मिसाइल को प्रभावी बनाने के लिए इसकी गुणवत्ता में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। इसी का नतीजा है कि इसे युद्धपोत, पनडुब्बी, सुखोई-30 विमान के साथ ही जमीन से लांचर के जरिये दुश्मन के ठिकानों पर छोड़ा जा सकता है। वर्तमान में दुनिया के किसी भी देश के पास ऐसी मिसाइल नहीं है।