नई दिल्ली। सरकार को कोलीजियम की कार्यप्रणाली नहीं भा रही है। प्रोन्नति के लिए न्यायाधीशों के नामों के चयन मे ‘पिक एंड चूज’ प्रक्रिया के पीछे कोलीजियम की ओर से न्यायोचित कारण और तर्क न दिया सरकार को गवांरा नहीं हो रहा। सरकार का मानना है कि न्यायपालिका लोकतंत्र का अहम स्तंभ है और इसमें न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी और न्यायोचित होनी चाहिए। जबकि जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की संस्तुति करते समय कोलीजियम ने उनसे वरिष्ठ 10 जजों को नकारने का कारण नहीं दिया है।
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि कोलीजियम ने जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नत करने की सिफारिश की है। जस्टिस जोसेफ हाईकोर्ट जजों की आल इंडिया वरिष्ठता में 42वें नबंर पर हैं। इतना ही नहीं उनसे वरिष्ठ 41 न्यायाधीशों में 10 हाईकोर्ट चीफ जस्टिस नियुक्त होने में जस्टिस जोसेफ से वरिष्ठ हैं। सूत्रों का कहना है कि हो सकता है कि जस्टिस जोसेफ कोलीजियम को प्रोन्नति के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार लगे हों लेकिन जिन लोगों की वरिष्ठता की अनदेखी की गई है, उसके आधार क्या हैं ये भी बताए जाने चाहिए थे जो कि नहीं बताए गये हैं।
सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की वरिष्ठता के आधार पर मुख्य न्यायाधीश बनते हैं और उसी आधार पर कोलीजियम के सदस्य होते हैं। मान लो वरिष्ठ की अनदेखी कर पहले कनिष्ठ को सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नत किया जाता है और वरिष्ठ को बाद में भेजा जाता है तो प्रारंभिक नियुक्ति में वरिष्ठ होने के बावजूद वह जज सुप्रीम कोर्ट में कनिष्ठ हो जाएगा। हालांकि सूत्रों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि कोलीजियम कभी कारण नहीं देती कई बार वरिष्ठ के बजाए कनिष्ठ की संस्तुति करते समय कोलीजियम कारण बताती है हाल में भी एक दो मामलों में ऐसा किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में भी हैं रिक्तियां
सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के कुल 31 पद मंजूर हैं जिसमें से अभी छह खाली पड़े हैं जबकि कोलीजियम ने सिर्फ दो नामों की संस्तुति की है। इसके अलावा इसी वर्ष पांच न्यायाधीश और सेवानिवृत हो जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि इस तरह कुल 11 रिक्तियां हो जाएंगी। कोलीजियम को एडवांस में ज्यादा नामों की संस्तुति करनी चाहिए जो की नहीं की जाती है।