घाटी में महिलाओं के जरिए राह बनाने की आइएस की साजिश, खुफिया एजेंसियों की नजर

नई दिल्ली। देश की सुरक्षा एजेंसियां वैसे तो कश्मीर में पाक परस्त आतंकियों की कमर तोड़ने में बेहद कामयाब साबित हो रही है लेकिन घाटी में रह रह कर कुछ ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जिनको लेकर नई चिंताएं पैदा हो रही हैं। हाल की कई घटनाओं से एक तथ्य तो साफ तौर पर सामने आया है कि आतंकी संगठन आइएस कश्मीर में पैर जमाने की कोशिश कर रहा है।

इस क्रम में पिछले हफ्ते मारे गये आतंकी अबू याहया के जनाजे में कुछ महिलाओं को आइएस का एक बड़ा झंडा ले कर चलते हुए देखा गया है। खुफिया एजेंसियां इसे आइएस की वैश्विक रणनीति का हिस्सा मान रही है जिसके तहत यह संगठन महिलाओं के जरिए अपने प्रसार में लगा है। आइएस सिर्फ कश्मीर में ही नहीं बल्कि दुनिया के कुछ दूसरे हिस्सों से भी इस तरह के फोटो जारी करने में जुटा है जिसमें महिला आतंकियों को आटोमैटिक रायफल और इसके झंडे के साथ दिखाया गया है।

आइएस की गतिविधियों पर नजर रखने वाले चार्ली विंटर व देवरोह मार्गोलीन जैसे अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने कहा है कि यह एजेंसी बहुत सोच समझ कर अपने बैनर तले महिला लड़ाकों को प्रचारित कर रही है। यह आइएस की सोच में एक बड़ा बदलाव है क्योंकि अभी तक यह संगठन महिलाओं को घर की चारदीवारी के भीतर ही रहने की बात करता रहा है। खुफिया एजेंसियों को लगता है कि महिला लड़ाकों की तस्वीर सोशल मीडिया पर जारी करके यह संगठन पुरुषों को संगठन के प्रति लुभाने की कोशिश कर रहा है। एक तरह से यह संदेश देने की भी कोशिश है कि जब महिलाएं आइएस में शामिल हो सकती है तो पुरुष क्यों नहीं।

पिछले छह महीनों के दौरान कश्मीर में आइएस के झंडे दिखने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। वैसे केंद्र सरकार ने फरवरी, 2018 के पहले हफ्ते में संसद में यह बताया था कि कश्मीर में आतंकी संगठन आइएस की कोई पैठ नहीं हुई है। हालांकि इसके कुछ ही दिनों बाद राज्य पुलिस के एक पुलिसकर्मी की हत्या के बाद जम्मू व कश्मीर के पुलिस प्रमुख एस पी वैद्य ने पहली बार स्वीकार किया था कि घाटी में आइएस की घुसपैठ हुई है।

सुरक्षा एजेंसियों के हाथों मारे जाने वाले हर आतंकी के जनाजे में आइएस का झंडा दिखना अब एक सामान्य बात हो गई है। दैनिक जागरण ने हाल ही में यह खबर प्रकाशित की थी कि किस तरह से आइएस जम्मू व कश्मीर में माइंड गेम खेल रहा है। एक पखवाड़े पहले अनंतनाग में भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों मारे गये तीन आतंकियों को आइएस और अल-कायदा दोनों ने अपना सदस्य साबित करने की कोशिश की थी। बहरहाल, खुफिया एजेंसियों का दावा है कि यह सब प्रचार पाने के लिए हो रहा है। संगठित तौर पर इन दोनों संगठनों का कश्मीर में कोई समर्थन नहीं है।

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