नई दिल्ली/जम्मू । कठुआ में 8 साल की बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में आज से कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी। यह सुनवाई आठ आरोपियों के खिलाफ की जाएगी, जिन पर बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या करने का आरोप लगा है। आरोप है कि इन्होंने 8 साल की बच्ची को जनवरी में अगवाह किया और एक सप्ताह तक मंदिर में बंधकर बनाकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। आरोपियों में एक नाबालिग भी शामिल है, जिसके खिलाफ एक अलग चार्जशीट दाखिल की गई है। वहीं पीड़िता की वकील दीपिका सिंह राजावत ने अपने साथ रेप या हत्या कराए जाने की आशंका जताई है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से बाहर केस ट्रांसफर करने की मांग की है।
नाबालिग के खिलाफ अलग चार्जशीट
अधिकारियों ने कहा कि कठुआ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कानून के अनुसार एक चार्जशीट को सुनवाई के लिए सत्र अदालत के पास भेजेंगे जिसमें सात लोग नामजद हैं। हालांकि नाबालिग आरोपी के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनवाई करेंगे, क्योंकि किशोर कानून के तहत यह विशेष अदालत है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस संवेदनशील मामले में सुनवाई के लिए दो विशेष वकीलों की नियुक्ति की है और दोनों ही सिख हैं।
20 अप्रैल को जम्मू आएगी बार काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम
कठुआ (रसाना) हत्याकांड की जांच और पूरे प्रकरण में वकीलों की भूमिका की समीक्षा करने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) की पांच सदस्यीय टीम 20 अप्रैल को जम्मू जाएंगी। यह टीम कठुआ के रसाना गांव जाकर जमीनी हालात की समीक्षा करेगी। टीम अपने दौरे के दौरान पीड़ित परिवार के सदस्यों से भी मिलेगी। उसके बाद जम्मू में जे एंड के हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से बैठक कर पूरे प्रकरण में वकीलों की भूमिका की पड़ताल करेगी। रसाना मामले में राष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश गया है कि बार एसोसिएशन ने आरोपितों को बचाने का प्रयास किया और इसके चलते जम्मू बंद रखा गया। ऐसे में बार काउंसिल की टीम का यह दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। रविवार को दिल्ली में बार काउंसिल ऑफ इंडिया की बैठक हुई जिसमें पूरे मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस तरुण अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित कमेटी में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सह-चेयरमैन एस प्रभाकरण व रमेश चंद्रा, बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड की प्रमुख रजिया बेग तथा पटना हाई कोर्ट के वकील नरेश दीक्षित शामिल हैं। बीसीआइ ने फैसला किया है कि उक्त कमेटी की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट में 19 अप्रैल को होगी सुनवाई
रसाना हत्याकांड की जांच और इस पूरे प्रकरण में वकीलों की भूमिका का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल को राज्य सरकार व जेएंडके हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को नोटिस जारी किया था। अब सुप्रीम कोर्ट को 19 अप्रैल को इस मामले में सुनवाई करनी है। ऐसी उम्मीद है कि जेएंडके हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से प्रधान सीनियर एडवोकेट बीएस सलाथिया व महासचिव प्रेम सदोत्रा के अलावा कुछ अन्य वरिष्ठ वकील बुधवार को दिल्ली के लिए रवाना होंगे। अगले दिन सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेंगे। इस बीच बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपनी बैठक में यह निर्णय लिया कि काउंसिल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर कर इस सुनवाई को कुछ दिनों के लिए स्थगित करने का आग्रह किया जाएगा ताकि तब तक काउंसिल की टीम कठुआ व जम्मू का दौरा कर अपनी रिपोर्ट सौंप दे।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13 अप्रैल को जम्मू बार एसोसिएशन तथा कठुआ बार एसोसिएशन को आड़े हाथ लिए जाने के बाद अब सुनवाई सुचारू ढंग से चलने की उम्मीद जताई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कुछ वकीलों द्वारा न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
मुझे धमकियां मिल रही हैं: पीड़िता की महिला वकील
इस मामले में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पीड़ित परिवार को 90 दिनों के अंदर न्याय दिलाने की हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश से वकालत की है। ऊधर पीड़िता का केस लड़ रही महिला वकील दीपिका राजावत ने मामले की जांच राज्य से बाहर करवाने की मांग की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की भी बात कही है। दीपिका ने आशंका जताई है कि राज्य में मामले की सुनवाई से पीड़िता को न्याय नहीं मिल सकता। इससे पहले भी दीपिका ने जम्मू बार एसोसिएशन के प्रधान बीएस सलाथिया पर यह आरोप लगाया था कि उन्हें इस मामले की पैरवी से पीछे हटने की धमकियां मिल रही हैं, लेकिन सलाथिया ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। दीपिका का कहना है कि उनकी जान को खतरा है, उन्हें लगता है कि उनका भी बलात्कार या हत्या की जा सकती है।