नई दिल्ली। केंद्र सरकार को सिर्फ महंगे पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों को कम करने का ही फॉर्मूला नहीं तलाशना है, बल्कि देश में कच्चे तेल की आपूर्ति निर्बाध तरीके से होती रहे, यह भी पक्का करना है। अमेरिका जिस तेजी से ईरान पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास में जुटा है, उसको लेकर सरकारी तेल कंपनियों के सामने कच्चे तेल की आपूर्ति को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।
तेल कंपनियां मान रही हैं कि कच्चे तेल के मामले में भारत ईरान का बड़ा खरीदार है और इसके चलते अमेरिका भारत की खरीद को रोकने का पूरा दबाव बनाएगा। ऐसे में सरकार के साथ मिलकर तेल कंपनियां क्रूड आपूर्ति के दूसरे स्त्रोत तलाशने में जुट गई हैं।
इंडियन ऑयल के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा, ‘ईरान पर अभी तक लगे प्रतिबंध को लेकर कोई असर नहीं हुआ है। ईरान से कच्चा तेल खरीदने का जो पहले समझौता हुआ है, उसकी आपूर्ति हो रही है और उसका भुगतान यूरो में किया जा रहा है। हम अमेरिका के संभावित कदमों का इंतजार कर रहे हैं। साथ ही हम दूसरे विकल्पों पर भी नजर बनाए हुए हैं। जरूरत प़़डने पर अमेरिका से भी ज्यादा क्रूड ऑयल खरीदा जा सकता है।’ देश की दूसरी ब़़डी रिफाइनरी कंपनी बीपीसीएल को भी ईरान से क्रूड की आपूर्ति बनी हुई है।
माना जा रहा है कि उक्त दोनों कंपनियां सऊदी अरब से तेल आपूर्ति ब़़ढाने की सोच रही हैं। सऊदी अरब ने हाल ही में कहा है कि वह भारत को कच्चे तेल की कमी नहीं होने देगा। भारत अपनी जरूरत का सबसे ज्यादा तेल वहीं से खरीदता है। पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारी इस बात को स्वीकार करते हैं कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध का दुनिया में सबसे ज्यादा किसी देश पर असर होगा तो वह भारत होगा।
यह इसलिए होगा कि भारत कुल खपत का अब भी 80 फीसदी आयात करता है और इसका बहुत ब़़डा हिस्सा ईरान से आता है। सऊदी अरब और इराक के बाद भारत सबसे ज्यादा तेल ईरान से ही खरीदता है। वषर्ष 2017–18 में भारत ने ईरान से ज्यादा तेल खरीदने की तैयारी की थी।
भारत से ज्यादा तेल ईरान से सिर्फ चीन खरीदता है। चीन पर अमेरिकी प्रतिबंध का खास असर नहीं होगा। इन दोनों देशों के बीच भुगतान की अपनी व्यवस्था है, साथ ही चीन ईरान से तेल आयात के लिए भारत की तरह दूसरे देशों के ढुलाई करने वाले जहाजों और बीमा कंपनियों पर निर्भर नहीं है।
वर्ष 2017-18 में भारत ने औसतन 44.6 लाख बैरल (प्रति बैरल 159 लीटर) प्रतिदिन के हिसाब से क्रूड आयात किया था। ईरान से आयातित तेल तकरीबन 4.58 लाख बैरल प्रतिदिन रहा था। इस साल इसमें 20 फीसदी ब़़ढोतरी करने की तैयारी थी। फरवरी, 2018 में ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी की नई दिल्ली यात्रा के दौरान दोनो देशों के बीच इस पर चर्चा भी हुई थी।