हाल में यूपी और उत्तराखंड चुनावों में प्रचंड जीत हासिल करने वाली बीजेपी ने दिल्ली एमसीडी चुनावों में एक नया सियासी दांव खेल दिया है. उसने कहा है कि वह एमसीडी चुनावों में एकदम नए प्रत्याशियों को उतारेगी और किसी भी पुराने चेहरे को टिकट नहीं दिया जाएगा. एमसीडी चुनावों के ऐलान के साथ ही बीजेपी की घोषणा से पार्टी के मौजूदा पार्षदों समेत आम आदमी पार्टी जैसे विरोधी भी हैरान रह गए हैं. दरअसल जानकारों के मुताबिक विजय के रथ पर सवार दिल्ली में किसी भी तरह का जोखिम मोल नहीं लेना चाहती. इसलिए ही उसने ऐसा कदम उठाया है.
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि बीजेपी पिछले 10 वर्षों से एमसीडी में काबिज है और इसलिए उसको ही सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा. दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी बीजेपी के कब्जे वाली तीनों एमसीडी को नाकारा साबित करने की मुहिम में जुटी हैं. आप एमसीडी के भ्रष्टाचार और नाकारापन को मुद्दा बना रही है. इसी कड़ी में सधा हुआ दांव चलते हुए बीजेपी ने अपने सभी मौजूदा पार्षदों का टिकट काटने का फैसला कर लिया है.
दांवपेंच
हालांकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी भले ही पार्टी के इस दांव को तुरुप का इक्का साबित करने पर तुले हों लेकिन खुद पार्टी के भीतर इस फैसले के ऐलान के बाद भूचाल आना तय माना जा रहा है. उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इस फैसले के अमलीजामा का मतलब यह होगा कि दिल्ली में बीजेपी के कई कद्दावर नेताओं को घर बैठना होगा. हालांकि असंतोष को भांपते हुए मीडिया से बातचीत के दौरान मनोज तिवारी ने कहा है कि पार्टी अच्छे और बड़े नेताओं को भविष्य में विधानसभा चुनावों में उतारेगी और उनका इस्तेमाल अन्य जगहों पर किया जाएगा लेकिन फिर भी राजनीतिक विश्लेषक यह मान रहे हैं कि बीजेपी के इस कदम से पार्टी में भितरघात होने की संभावना है. उसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दिल्ली में बीजेपी के कई नेता ऐसे हैं जो सालों से सिर्फ एमसीडी की सियासत ही कर रहे हैं. इसके चलते इनकी अपने इलाकों में अच्छी खासी पैठ है. ऐसे लोगों के लिए पार्टी के भीतर इस बार चुनाव नहीं लड़ने का मौका मिलने की स्थिति में वह विरोधियों के साथ मिलकर भितरघात कर सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में बीजेपी 2007 से ही एमसीडी की सत्ता पर काबिज है. 2012 में एमसीडी के तीन टुकड़े होने के बावजूद बीजेपी के लिए वर्चस्व को कोई तोड़ नहीं पाया लेकिन कांग्रेस के हाशिए पर जाने के बाद अबकी बार बीजेपी का मुख्य रूप से मुकाबला आप से है. आप ने विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था. इसलिए बीजेपी को एमसीडी में आप से कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है. संभवतया इसीलिए बीजेपी ने यह दांव चला है. उल्लेखनीय है कि एमसीडी चुनावों के तहत 22 अप्रैल को मतदान होंगे और 25 अप्रैल को मतगणना होगी.
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