नई दिल्ली: 2 जुलाई 2024 की सुबह करीब 8 बजे हरियाणा में सोनीपत के फाजिलपुर इलाके की झाड़ियों में एक लाश मिलती है। पुलिस मौके पर पहुंचती है तो पता चलता है कि कत्ल गला रेतकर किया गया है। लाश का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया जाता है और पुलिस तहकीकात में जुट जाती है। ये लाश थी ज्ञान नगर मोहल्ले में रहने वाले राकेश की, जो गत्ते का कारोबार करता था। अगले दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आती है तो एक और बड़ा खुलासा होता है। राकेश के शरीर पर चाकू से 10 वार किए गए थे। मतलब साफ था कि उसे बेरहमी के साथ कत्ल किया गया था और इस दौरान उसने खुद को बचाने की भी कोशिश की।
कत्ल की इस वारदात को बेहद शातिर तरीके से अंजाम दिया गया था। मौके पर ऐसा कोई सबूत नहीं छोड़ा गया, जिससे कातिल का सुराग मिल सके। यहां तक कि राकेश का मोबाइल फोन भी गायब था। पुलिस के लिए पूरी तरह से ये एक ब्लाइंड मर्डर केस था। केस के खुलासे के लिए टीमें बनाई जाती हैं और पुलिस आसपास के लोगों से पूछताछ करती है। इसके साथ ही राकेश के फोन की कॉल डिटेल भी खंगाली जाती है। पूछताछ में पता चलता है कि राकेश का पड़ोस में रहने वाले शंकर के घर आना-जाना था। वहीं, कॉल डिटेल में राकेश की हत्या वाले दिन उसके नंबर पर रात को आखिरी कॉल शंकर की पत्नी अंजू की थी।
अब पुलिस को सुराग मिल चुका था। शंकर और अंजू को हिरासत में लेने के लिए तुरंत पुलिस की टीमें उनके घर पहुंचती हैं, लेकिन वहां ताला लगा हुआ मिलता है। पुलिस अंजू के नंबर को सर्विलांस पर लगाती है तो लोकेशन दिल्ली की मिलती है। एक टीम को फौरन दिल्ली के लिए रवाना कर दिया जाता है और कुछ ही घंटों बाद शंकर और अंजू पुलिस की हिरासत में होते हैं। दोनों से पूछताछ होती है तो सारी कहानी सामने खुल जाती है। राकेश की हत्या शंकर और अंजू ने मिलकर की थी। वजह थी राकेश और अंजू के अवैध संबंध।
दरअसल, शंकर जम्मू में ट्रक ड्राइवर था और अपनी बीवी को देने के लिए हर महीने रुपए पेटीएम करता था। अंजू पेटीएम नहीं चलाती थी, इसलिए वो ये रुपए पड़ोस में रहने वाले राकेश के नंबर पर भेज देता था। इसके बाद राकेश उसके घर जाकर अंजू को कैश में रुपए दे आता था। बस यहीं से राकेश और अंजू के बीच एक नाजायज रिश्ता पनप गया। दोनों के बीच फोन पर लंबी बातें होने लगीं। एक दिन शंकर ने रात में अंजू के नंबर पर फोन किया तो उसका मोबाइल बिजी थी। जब काफी देर तक बात नहीं हुई, तो शंकर को कुछ शक हुआ। उसने राकेश को फोन किया, तो उसका भी नंबर बिजी मिला। बस यहीं से शंकर का माथा ठनक गया।
शंकर अगले दिन घर आया और अंजू से पूछताछ की। पहले वो टालती रही, लेकिन जब उसने सख्ती से पूछा, तो अंजू खुल गई। उसने अपने पति को सबकुछ बता दिया। शंकर के समझाने पर अंजू ने अपने प्रेमी से रिश्ता भी खत्म कर लिया लेकिन राकेश नहीं माना। अंजू ने पुलिस पूछताछ में बताया कि राकेश लगातार उसके ऊपर दबाव बना रहा था कि अगर उसने उसकी बात नहीं मानी तो वो पूरे गांव में उन दोनों की बातें फैला देगा। अंजू डर गई और उसने ये सारी बात अपने पति शंकर को बताई। बदनामी से बचने के लिए अंजू और शंकर ने मिलकर एक खतरनाक प्लान तैयार किया।
1 जुलाई की रात को अंजू ने राकेश को फोन किया और उसे मिलने के लिए फाजिलपुर इलाके की झाड़ियों में बुलाया। राकेश पहुंचा तो पहले से वहां छिपे शंकर ने उसके ऊपर चाकू से हमला कर दिया। राकेश ने बचने की कोशिश की तो अंजू ने उसे कब्जा लिया और इसके शंकर ने चाकू से उसका गला रेत दिया। राकेश का कत्ल करने के बाद शंकर और अंजू पहले यहां से बहालगढ़ गए और इसके बाद दिल्ली के लिए निकल गए। दिल्ली में अंजू का परिवार रहता है। कत्ल की वारदात से पहले शंकर ने अपने तीनों बच्चों को अंजू के घर भेज दिया था। पुलिस ने अब शंकर और अंजू पर हत्या का केस दर्ज कर दोनों को जेल भेज दिया है।