तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला नामंजूर, AIMPLB के समर्थन में उलमा

 

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला नामंजूर कर दिया है। AIMPLB  सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के विरोध में खुलकर सामने आ गया है। बोर्ड ने फैसले को मुस्लिम पर्सनल लॉ और मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताते हुए पूरी तरह अस्वीकार्य करार दिया है। बोर्ड ने फैसले और उत्तराखंड में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता यानी UCC के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर कानूनी जंग लड़ने की घोषणा की है। रविवार को हुई बोर्ड की बैठक में सभी 51 सदस्य मौजूद थे।

बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने बताया कि बैठक में मुस्लिम महिला गुजारा भत्ता और उत्तराखंड UCC पर लंबा विमर्श हुआ। इसके बाद, प्रस्ताव पारित कर गुजारा भत्ते से जुड़े फैसले को वापस कराने के लिए हरसंभव प्रयास का फैसला किया गया। बैठक में यूसीसी को भी मुस्लिम पर्सनल लॉ और शरिया के खिलाफ मानते हुए रोक लगाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने पर सहमति बनी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला शरिया कानून से टकराव पैदा करने वाला है। जैसे हिंदुओं के लिए हिंदू कोड बिल है, उसी तरह मुसलमान शरिया कानून का पाबंद है। धर्म के तहत जिंदगी गुजारना मौलिक अधिकार है। औरतों की भलाई के नाम पर आए इस फैसले से औरतों का भला नहीं, नुकसान होगा।

 

बोर्ड के समर्थन में उतरे उलमा

शरीयत में किसी भी तरह का हस्तक्षेप कबूल नहीं: मौलाना मुफ्ती असद कासमी 

            AIMPLB rejects SC decision on alimony to divorced Muslim women, Ulema supports

तलाकशुदा महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर AIMPLB ने अपना रुख साफ किया है। इस पर उलमा ने भी बोर्ड के रुख का समर्थन किया है। तंजीम इत्तेहाद उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना मुफ्ती असद कासमी से जब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि मुसलमान शरीयत पर चलता है और कुरआन-ए-करीम की शिक्षा का पालन करते हैं और मोहम्मद साहब के बताए रास्ते पर चलते हैं।

उन्होंने कहा कि तलाकशुदा महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जो रुख ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का है। हम भी उनके रुख के साथ है। बोर्ड के हर फैसले पर हम उसके साथ कदम से कदम मिलाकर खड़े हैं। कहा कि बोर्ड और मुल्क के उलमा का इस मुद्दे पर जो भी रुख है। तंजीम इत्तेहाद उलमा-ए-हिंद का भी वही रुख है।

                 इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और उलमा ने इसका गहराई से जायजा लिया। जिसके बाद यह बात साफ हुई कि यह सीधे तौर पर शरीयत में हस्तक्षेप है। उन्होंने कहा कि मुसलमान शरीयत में किसी भी तरह के हस्तक्षेप को कबूल नहीं कर सकता। इसीलिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह निर्णय लिया है कि इसे कोर्ट में चैलेंज करेंगे और अपनी बात को कोर्ट के समक्ष रखेंगे। उन्होंने कहा कि यह तरीका दुरुस्त नहीं है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का जो भी फैसला होगा तमाम उलमा उसके साथ मजबूत से खड़े रहेंगे।
Leave A Reply

Your email address will not be published.