विश्व के सबसे कठिनतम युद्ध में विजय की गौरवगाथा है- कारगिल विजय दिवस

– कारगिल युद्ध में भाग ले चुके वीरभूमि बुंदेलखंड के पूर्व सैनिकों ने सुनाए रोमांचक संस्मरण
-कारगिल युद्ध विषयक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में हुए पुरस्कृत 10 प्रतिभागी

न्यूज़ वाणी ब्यूरो बांदा। देश की भावी पीढ़ी को 1999 में हुए कारगिल युद्ध में देश के वीर सैनिकों द्वारा दिए गए बलिदान व अदम्य साहस से विजय पाने और हिमालय की चोटियों पर तिरंगा फहराने की गाथा आज उस युद्ध में भाग ले विजय प्राप्त किए दो भूतपूर्व सैनिकों द्वारा बताई गई। कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती पर आज एक विशेष जन-संपर्क कार्यक्रम का आयोजन आदर्श शिक्षा निकेतन इंटर कॉलेज, बांदा में किया गया। इस कार्यक्रम को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विभाग द्वारा कारगिल युद्ध विषय पर एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन कर सही जवाब देने वाले 10 प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। साथ ही उपस्थित लोगों को सांस्कृतिक माध्यम से भी सैनिकों की कारगिल युद्ध में दिखाई गई वीरता के बारे में विस्तार से बताया गया। विभाग के नामित लखनलाल बुंदेलखंडी लोक नृत्य समिति, महोबा द्वारा भिन्न रंगारंग प्रस्तुतियां दी गईं। इस अवसर पर दो मिनट का मौन रख कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीरों को श्रद्धांजलि दी गई।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भारतीय सेना के पूर्व टेक्निकल जेसीओ श्री आर०पी० तिवारी थे। कारगिल युद्ध के दौरान 1999 में इनकी तैनाती द्रास सेक्टर में थी। सेना के डेट एनसीओ, निगरानी विभाग, 121 ब्रिगेड सिग्नल कंपनी में होने के नाते आपकी व साथियों की ज़िम्मेदारी मोर्चे पर आगे बढ़ रहे देश के रण बांकुरों के लिए मजबूत कम्युनिकेशन सुनिश्चित करना था। जिससे समय पर सतर्क हो कर दुश्मन की गोलियों से बचाव व निरंतर लक्ष्य की ओर बढ़ सकें। कारगिल युद्ध को याद करते हुए सेना की 121वीं ब्रिगेड सिग्नल कोर से सेवानिवृत्त श्री तिवारी ने कहा कि कारगिल युद्ध दुनिया के सबसे कठिनतम युद्धों में से एक था। जिसे ऑपरेशन विजय नाम से सेना ने लड़ा। युद्ध शुरू होते ही एक रात 11:50 पर आदेश आया कि कल सुबह हमारी पूरी कंपनी मूव करेगी। लोकेशन पर पहुंचकर हमने अपना पूरा कम्युनिकेशन सिस्टम सेटअप किया। जैसे ही सेटअप ऑल ओके का संदेश कंपनी कमांडर को दिया तभी पाकिस्तान की तरफ से आए एक आरटी गोले ने हमारा जनरेटर उड़ा दिया। तब हम रातों रात मिलकर बंकर बनाया साथ ही कम्युनिकेशन सिस्टम शुरू किया। इस दो महीने 3 हफ्ते चले युद्ध में हमें जूते खोलने तक का मौका नहीं मिला।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि धर्मराज सिंह, ऑर्डिनेन्स सूबेदार (रि०) कारगिल युद्ध के दौरान बटालिक सेक्टर में 5 पैरा स्पेशल फोर्स का हिस्सा थे। उन्होने बताया सूचना मिली कि पाकिस्तान के सेना व आतंकवादी एलओसी के अंदर कब्जा किए हुए हैं। हमारी स्पेशल फोर्स की 22 जवानों व अफसरों की टोली अटैक के आदेश के बाद शाम 6 बजे से आगे बढ़ना शुरू हुई। सुबह 5 बजे टार्गेट पर पहुंचे। देखा कि जमीन खाली है। क्योंकि दुश्मन वहाँ से हट गया था। अब वो पहाड़ों पर ऊपर बैठकर हमपर नजर रख रहा है। तभी हमारे कुछ जवान व एक अफसर उनके लैंडमाईन ब्लास्ट में मारे गए व जख्मी हुए। हम बचे हुए स्पेशल फोर्स के भाइयों ने पाकिस्तानियों पर फायरिंग शुरू कि। उधर से भी जवाबी फायरिंग हुई।

हमारे कमांडर ने सूचना दी हम बचे हुए 16 लोगों पर घात लगाकर हमला हो सकता है। हम लगातार तीन दिन तक अपना गोला, बारूद और गोलियां बचा-बचा कर उन पर फायरिंग करते रहे। जब वे थक कर उतर कर भागने लगे तब हम लोगों ने उनके 4-5 लोगों को मारकर अपने साथियों का बदला लिया। कार्यक्रम में अपने संबोधन में मंत्रालय के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी गौरव त्रिपाठी ने कहा कि कारगिल विजय दिवस 2024 को आज पाकिस्तान पर भारतीय विजय की रजत जयंती के रूप में देश भर में मनाया जा रहा है। कारगिल विजय दिवस विषय पर आयोजित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागी थे साधना, अखिलेश कुमार, कंचन, शिवम, अंकित यादव, अंजली राजपूत, अभय तिवारी, शुभम, नेहा और सौम्या मिश्रा। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित थे विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती वनमाला चौहान, प्रवीण चौहान निदेशक, प्रशांत चौहान, प्रबंधक व अन्य गणमान्य लोग।

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