आज निकलेगा चाँद- शनिवार से शुरू हैं रोज़ा,पहला रोजा 14 घंटे तैतीस मिनट -कारी फरीदुद्दीन 

फतेहपुर-नफीस जाफ़री-शनिवार से मुकद्दस रमजान के रोजे शुरू हो जाएंगे। कोरोना वायरस और लाकडाउन के चलते पहली बार रमजान की सभी इबादतें घर में ही होंगी। इसके लिए फतेहपुर के दोनों काज़ी शहर ने अपील भी भी की हैं।

14 घंटे तैतीस  मिनट का होगा का होगा पहला रोजा
मुकद्दस रमजान के महीने में भीषण गर्मी, चिलचिलाती धूप और उमस रोजेदारों के सब्र का इम्तिहान लेगी। इस बार रोजे 15 घंटे से ज्यादा वक्त के होंगे। पहला रोजा 14 घंटे तैतीस  मिनट का होगा। अंतिम रोजा 15 घंटे सोलह मिनट अवधि का होगा। पहला रोजा सुबह 04.05 बजे शुरू होगा जो शाम को 6.38 बजे समाप्त होगा।  

दारुल उलूम देवबंद और मरकज़ बरैली ने भी दीं हिदायतें 

– किसी बीमारी में ग्रस्त होने पर ही रोजा छोड़ सकते हैं। रोजा छोड़ने के लिए किसी मुफ्ती से मसअला जरूर मालूम कर लें। 
– लॉकडाउन के चलते जुमे की नमाज सहित अन्य नमाजों, तरावीह को भी घरों में ही अदा करें।
– मस्जिदों में शासन और स्वास्थ्य विभाग की हिदायतों पर अमल करना चाहिए।
– यदि मस्जिदों में कुछ लोगों को नमाज पढ़ने की छूट दी जाती है तो कुछ लोग ही जाएं।
– बार-बार ना जाएं बल्कि दूसरे लोगों को भी मौका देते रहें। साथ-साथ मस्जिदों की मदद भी करते रहें। 
– मस्जिदों में वही लोग नमाज और तराबीह अदा करें जिन्हें इजाजत मिली हुई है। 
– घरों पर चार-पांच लोगों की जमात न हो सके तो अपनी-अपनी नमाज अदा कर अल्मतरा कैफ से तरावीह अदा करें। 
– लॉकडाउन के चलते छह या दस दिन की तरावीह पढ़ने के बजाए प्रतिदिन एक या सवा सिपारा पढ़ें या सुनें। 
– रोजे में सहरी और इफ्तार अपने-अपने क्षेत्रों की जंतरी के हिसाब से करें।
– लॉकडाउन के चलते इफ्तार पार्टी और मस्जिदों में इफ्तार से बचें।
– लॉकडाउन में प्रशासन द्वारा तय समय में ही इफ्तार और सहरी के जरुरी सामान की खरीदारी करें।

फिजूल बातों से बचें, मोबाइल पर वक्त जाया न करें-कारी फरीदुद्दीन 
माह-ए-रमजान में ज्यादा से ज्यादा एहतिमाम करें और अपने गुनाहों की तौबा करें। साथ ही गुनाहों से बचने का इरादा रखें। उन्होंने कहा कि माह-ए-रमजान में लोग फिजूल की बातों से बचें। अपना वक्त मोबाइल पर जाया न कर रमजान के कीमती वक्त को ज्यादा से ज्यादा इबादत में गुजारें। कोरोना के चलते घरों में ही रहकर इबादत की जाए। –

 

इस बार क्या नहीं होगा

– फर्ज नमाजें भी घरों पर ही अदा होंगी
-तरावीह की नमाजें भी घर पर होंगी जो पहले मस्जिदों में होती थीं
-कहीं पर भी शबीने ( कुरआन-ए-पाक सुनना) नहीं होंगे।  
– सामूहिक रूप से रोजा इफ्तार के कार्यक्रम नहीं होंगे
– सहरी की सूचना देने के लिए टोलियां इस बार नहीं निकलेंगी
-चांद देखने की प्रक्रिया भी घर से होगी।
-पहली बार चांद रात पर बाजार गुलजार नहीं होंगे

रमजान के तीन अशरे
पहला अशरा: रहमत का है। जिसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की बारिश करता है। यानि दस दिन तक अल्लाह की बेशुमार रहमतें बंदों पर नाजिल होती हैं। 
दूसरा अशरा : मगफिरत का है। इस अशरे में अल्लाह मरहूमों की मगफिरत फरमाता है तथा रोजेदारों को उनके गुनाहों से आजाद करता है। 
तीसरा अशरा : जहन्नुम से आजादी का होता है। तीसरे अशरे में अल्लाह अपने बंदों को जहन्नुम से निजात देता है।

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