आगरा के अरतौनी में एक युवक को जिंदा गड्ढे में दफना दिया। अरतौनी के रहने वाली रामवती ने थाना सिकंदरा में तहरीर दी थी कि 18 जुलाई को उनके क्षेत्र में दो पक्षों में विवाद हुआ था। एक पक्ष का एक व्यक्ति उनके घर के बाहर खड़े होकर गालियां दे रहा था। जिस पर उनके बेटे रूपकिशोर ने उसे वहां से जाने को कहा। 18 जुलाई की रात को ही चार युवक रूपकिशोर के पास पहुंचे। अंकित, गौरव, करन और आकाश ने कहा कि प्रधान पुष्पेंद्र ने रूपकिशोर को बुलाया है।
रूपकिशोर उनके साथ चला गया। चारों ने गांव के बाहर खेतों की ओर ले जाकर रूपकिशोर को बुरी तरह पीटा। रूपकिशोर की टीशर्ट से उसके गले में फंदा बनाकर उसे घसीटते हुए ले गए। मारपीट करने के बाद उसे मरा हुआ समझकर यमुना किनारे रेत में गड्ढा खोद कर दफना दिया। रूपकिशोर का खून सूंघकर कुछ जंगली जानवर गड्ढे पर पहुंचे। बेहोश रूपकिशोर का मांस नोच कर खाने लगे। मांस नोचने पर दर्द हुआ तो रूपकिशोर होश में आया। किसी तरह गड्ढे से निकल कर पास की ही बस्ती में पहुंचा। वहां लोगों को पूरी घटना की जानकारी दी। अपने परिजनों का नंबर दिया।
सूचना पर परिजन पहुंचे। रूपकिशोर ने बताया कि 7 लोगों ने मिलकर उसे मारा है। रूपकिशोर के भाई दीपक का कहना है कि वे लोग रूपकिशोर को लेकर 19 जुलाई को थाना सिकंदरा पहुंचे थे। पुलिस ने तहरीर लेकर मेडिकल करवाया पर कार्रवाई नहीं की। कई दिन तक चक्कर काटते रहे। उसके बाद वकील के साथ जाकर पुलिस कमिश्नर जे. रविन्दर गौड से शिकायत की। उनके आदेश पर पुलिस ने पीड़ित परिवार को बुलाकर दोबारा तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज किया है।