स्वास्थ्य केंद्र में 7 वर्षीय आदिवासी बच्चे की हुई मौत

उमरिया: डॉक्टर को धरती के भगवान का दर्जा दिया गया है, जो किसी को भी काल के गाल से वापस ला सकता है। मरते हुए इंसान को जिंदगी दे सकता है और खोई हुई उम्मीदों को फिर से जगा सकता है। इन्ही खूबियों के कारण धरती पर डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है लेकिन जब वही डॉक्टर अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से नहीं करता है तो लोगों की जान चली जाती है।

ऐसा ही मामला उमरिया जिले के बिरसिंहपुर पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सामने आया है, जहां 7 वर्षीय आदिवासी बच्चे की इलाज न मिलने के कारण मौत हो गई है। बच्चे के परिजन अस्पताल में गुहार लगाते रहे… डॉक्टर साहब जल्दी आओ, हमारे बच्चे की तबीयत ज्यादा खराब है, लेकिन डॉक्टर को फुरसत नहीं थी।

बच्चे के पिता केश लाल कोल ने बताया कि मेरे बच्चे को सुबह करीब 7 बजे उल्टी हुई हुई थी। मैं उसे लेकर पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आ गया, जब यहां आया तो कोई डॉक्टर ही नहीं थे, मैं और सिस्टर दोनों डॉक्टर साहब को फोन लगाते रहे और वो नही आए। हमारा बच्चा एक-दो घंटे तक तड़पता रहा। नर्स के द्वारा चेकअप किया गया और बार-बार हमें बोला जा रहा था कि डॉक्टर आ रहे हैं। फिर 1- 2 घंटे बाद दूसरे डॉक्टर आए, चेकअप किये और कहे कि बच्चा नही रहा।

वहीं बच्चे के पाली निवासी मौसा शिव कुमार कोल ने आरोप लगाते हुए बताया कि बच्चे की तबीयत खराब थी। उसे इलाज के लिए पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था, लेकिन जब यहां हम आए तो यहां कोई भी डॉक्टर नहीं था। नर्स इलाज करती रही। हम अस्पताल में गुहार लगाते रहे कि डॉक्टर साहब जल्दी आ जाएं लेकिन डेढ़ से दो घंटे तक कोई डॉक्टर नहीं पहुंचे, जिससे बच्चे की मौत हो गई। हम इस पर कार्रवाई चाहते हैं ताकि किसी दूसरे बच्चे के साथ ऐसा न हो पाए।

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