चकरेही की गौशाला में गोवंश के मिले कंकाल , प्रशासन की लापरवाही हुई उजागर

 

ब्यूरो मुन्ना बक्श न्यूज़ वाणी बांदा। जिले के कमासिन ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत चकरेही में स्थित अस्थाई गौशाला के पास गोवंशों के कंकाल मिलने की दर्दनाक घटना सामने आई है। यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि गौसेवा और पशुपालन के प्रति हमारी जिम्मेदारियों पर भी सवाल खड़े करती है। जंगली जानवर इन असहाय गोवंशों को शिकार बना रहे हैं, और गौशाला की अनदेखी के कारण स्थिति बेहद चिंताजनक हो चुकी है। विश्व हिंदू महासंघ गौरक्षा समिति के जिला सहसंयोजक संतोष त्रिपाठी एवं कमासिन मुलाकात अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह अपनी टीम के साथ घटनास्थल्क पहुंचे और जायजा लिया

गौशाला कर्मचारियों के अनुसार, लगभग 8-10 दिन पहले पांच गोवंशों की मृत्यु हो गई थी, और उन्हें वहीं फेंक दिया गया, जहां अब उनके कंकाल पाए गए हैं। कर्मचारियों के मुताबिक, मृत गोवंशों को ट्रैक्टर से घसीट कर जंगल के किनारे फेंका गया, जहां जंगली जानवर उनका शिकार बना रहे हैं। इस घटना ने गौशाला प्रबंधन की घोर लापरवाही को उजागर किया है।

 

प्रशासन की लापरवाही और गोवंश की दुर्दशा

 

गौशाला में इस समय भी दो गोवंश बीमार हालत में हैं, लेकिन पशु विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण इन्हें कोई चिकित्सा सहायता नहीं मिल पा रही है। गौसेवकों और स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों को इस बारे में सूचित किया, लेकिन कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। केवल आश्वासन दिए जाते हैं, लेकिन स्थिति में सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

बल्कि कुछ देर बाद तुरंत ग्राम प्रधान प्रतिनिधि द्वारा वहां पहुंचकर गोवंश के अवशेषों को पहुंच सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार करवाया गया

 

यह लापरवाही न केवल गोवंशों की जान को खतरे में डाल रही है, बल्कि माननीय मुख्यमंत्री जी की छवि को भी नुकसान पहुंचा रही है। गौशालाओं का मुख्य उद्देश्य गोवंशों की सुरक्षा और देखभाल है, लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के कारण यह उद्देश्य पूरी तरह से विफल हो रहा है।

 

गौ सेवा के लिए जागरूकता और समर्थन की आवश्यकता

 

यह घटना हम सभी के लिए एक सीख है कि गौसेवा केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसे वास्तविकता में उतारने की जरूरत है। गोवंश हमारी कृषि, पर्यावरण, और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी सेवा और सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

 

समाज में इस घटना ने आक्रोश और पीड़ा पैदा की है, लेकिन अब समय आ गया है कि हम इसे एक सकारात्मक दिशा में मोड़ें। हमें प्रशासन पर दबाव बनाना होगा ताकि गौशालाओं की स्थिति में सुधार हो सके, और हमें व्यक्तिगत तौर पर गोवंशों की सेवा के लिए कदम उठाने होंगे।

बेजुबान गोवंश की जान ले रहा है पॉलिथीन, शहर में एक और नंदी बाबा की मौत

 

पॉलिथीन के सेवन से गोवंश की लगातार हो रही हैं मौतें, प्रतिबंध के लिए उठानी होगी आवाज़

बांदा शहर में गोवंश की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। हाल ही में, एक नंदी बाबा अचानक बीमार होकर ज़मीन पर गिर गए। गौ रक्षा समिति के पदाधिकारियों को तुरंत सूचना दी गई, जिसके बाद पशु विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर इलाज शुरू किया, लेकिन नंदी बाबा को बचाया नहीं जा सका।

 

शहर में गोवंश लगातार पॉलिथीन खाकर अपना जीवन बिता रहे हैं। पॉलिथीन की वजह से उनके पेट में गैस बनती है और वे बेहद कमजोर होकर बीमार पड़ जाते हैं। ये कोई पहली घटना नहीं है—ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं। पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगाने और इसे सड़कों पर फेंकने से रोकने के कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।

सुबह फिर नगर पालिका के सहयोग से नंदी बाबा का सम्मान पूरक अंतिम संस्कार करवाया गया इस मौके में जिला उपाध्यक्ष महेश कुमार धुरिया जो उपस्थित रहे।

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