नफ़ीस जाफ़री, फतेहपुर। जिले का एआरटीओ कार्यालय मुख्यमंत्री योगी की लाख कोशिशों के बावजूद भ्रष्टाचार से उबर नही पा रहा है। समय समय पर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा छापामारी की जाती है। छापेमारी के कुछ दिनों तक विभाग में हड़कंप की स्थिति रहती है। कुछ ही दिनों के भीतर पुराना रवैया फिर से चाल तेज कर देता हैै। हालात यहां पर और अधिक दयनीय हो जाते हैं जब विभाग की मुखिया खुद अपनी अधीन कार्य करने वाले लिपिकों से हर मद में अवैध वसूली करके एकमुश्त रकम का दबाव बनाती हैं।
मालूम रहे कि विभाग में कई अलग अलग अनुभाग हैं। इनमें लाइसेन्स, नये वाहनों का पंजीयन, गाड़ियों की फिटनेस सहित लाइसेन्सों का नवीनीकरण शामिल है। इन सभी मदों में सरकार द्वारा निर्धारित फीस से कहीं कई गुना अधिक धन वसूली की जाती है। इसके अलावा पूरे परिसर में दलालों का जमावड़ा लगा रहता है। कोई भी काम बिना दलाल के सम्भव नहीं है। सूत्रों का कहना है कि एआरटीओ मुख्यालय से लेकर पड़ोसी जनपद रायबरेली तक के दलालों को संरक्षण देने का काम कर रहीं हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि अल्प अवधि में सम्पन्नता के शिखर पर पहुंचने का सपना देखने वाली एआरटीओ को शायद योगी बाबा की सख्ती का भी भय नही है। सूत्रों का कहना है कि एआरटीओ अपने मनमाफिक कार्य न करने वाले लिपिकों का पटल परिवर्तन करके भय दिखाती हैं। चंगुल में फंस जाने पर पुनः हटाये गये पटल पर तैनात कर देती है। विदित रहे कि अगस्त माह में तत्कालीन जिलाधिकारी सी. इन्दुमती ने भारी पुलिस बल के साथ एआरटीओ दफ्तर में छापा मारा था। छापे के दौरान कई दलाल भाग निकले थे। कई दलाल अपनी बाईक छोड़कर भाग गये थे। इन बाईकों को पुलिस ने कब्जे में लिया था। जिलाधिकारी द्वारा एआरटीओ व यात्राी कर अधिकारी को जमकर फटकार लगाई थी। छापेमारी के बाद कई दिनों तक कार्यालय में सन्नाटा पसर गया था। कुछ दिनों के बाद वही पुरानी स्थिति फिर पैदा हो गयी। अब देखना है कि नवागत जिलाधिकारी रविन्द्र सिंह अपनी ख्याति के मुताबिक एआरटीओ कार्यालय सहित अन्य विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर किस हद तक अंकुश लगाने में कामयाब हो पायेंगे।