प्रदूषण के कारण टीबी मरीजों की संख्या बढ़ी:सांस फूलने और खांसी की शिकायत लेकर आ रहे मरीज

कानपुर:मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल की ओपीडी में रोजाना 200 से 250 मरीज आ रहे हैं। इसमें करीब 50 प्रतिशत मरीज नए आ रहे हैं। बाकी मरीज वह है जिनको पहले से ही इसकी शिकायत थी। चेस्ट हॉस्पिटल के डॉ. संजय वर्मा ने बताया कि इस समय ओपीडी में 15 से 20 प्रतिशत के करीब मरीज बढ़ गए है। इसमें टीबी के और सीओपीडी (बीड़ी, सिगरेट का सेवन करने वाले) दोनों तरह के मरीज आ रहे है। लगभग 40 साल के बाद वालों में सीओपीडी की दिक्कत देखने को मिल रही है। वहीं कम उम्र वालों में टीबी की समस्या हो रही है। इन दिनों वातावरण भी काफी गर्म है और प्रदूषण बाहर अधिक है। इसलिए भी मरीज बढ़ गए है। डॉ. वर्मा ने बताया कि जो भारत सरकार की टीबी मुक्त योजना चल रही है। उससे लोग काफी जागरूक हुए है। घर-घर जाने वाली टीम लोगों की काउंसिलिंग कर रही हैं, यही कारण है कि जो मरीज चिह्नित किए जा रहे हैं वह भी अस्पताल में आ रहे हैं। इस कारण मरीजों की संख्या बढ़ी है। सीओपीडी में मरीज को खांसी आती है फिर खांसी के साथ बलगम आने लगता है। सांस फूलती और बलगम के साथ खून आने लगता है। वहीं, टीबी के मरीजों में खांसी में बलगम और बुखार आता है। धीरे-धीरे वजन कम होने लगता है। भूख लगना कम हो जाती है। किसी को भी यदि दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आ रही हो तो ऐसे में जांच अवश्य करा ले।

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