बिट्टू ये एक ऐसा नाम था, जो किसी बेजुबान की पहचान था। मगर वो अब इस दुनिया को अलविदा कह गया। पूरा मामला झांसी जिले के रक्सा क्षेत्र के सुजवाह गांव का है। सुजवाह गांव निवासी संजीव सिंह परिहार अपनी पत्नी माला के साथ रहते हैं। उनके कोई संतान नहीं है। संजीव बताते हैं कि 13 साल पहले पोमेरेनियन नस्ल के दो डॉग घर लाया था। एक का नाम बिट्टू रखा और दूसरे का नाम पायल। जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उनसे लगाव बढ़ता चला गया।
एक दिन सांप उनकी तरफ बढ़ रहा था। संजीव नहीं देख पाए, मगर बिट्टू की नजर पड़ गई। बिट्टू ने पटककर सांप को मार डाला और संजीव को बचा लिया। तब से संजीव और उनकी पत्नी माला दोनों डॉग को अपने बच्चों की तरह मानने लगे थे। उनसे विशेष लगाव हो गया था। संजीव ने बताया कि 24 सितंबर की दोपहर को दोनों डॉग घर से कुछ दूरी पर घूम रहे थे। इसी दौरान कुछ आवारा कुत्तों ने उनको घेर कर अटैक कर दिया। पायल किसी तरह बचकर घर आ गई, मगर बिट्टू बुरी तरह जख्मी हो गया।
संजीव को पता चला तो वह मौके पर पहुंचे और उसे झांसी पशु चिकित्सालय लाए। यहां काफी प्रयास के बाद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। बिट्टू के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। बिट्टू की मौत का संजीव और उनकी पत्नी को गहरा सदमा लगा। प्रयागराज में अस्थियां विसर्जित की बिट्टू की मौत के बाद संजीव और माला का हाल बुरा हो गया। दोनों ने दो दिन तक खाना नहीं खाया। ग्रामीणों के समझाने पर संजीव ने तेरहवीं करने की प्रतिज्ञा ली। पहले वे परिवार के साथ अस्थियां लेकर प्रयागराज गए। वहां गंगाजी में अस्थियां विसर्जित की। फिर घर आकर पंडितों को बुलाकर हवन कराया और पूजा पाठ की।
इसके बाद रविवार को तेरहवीं भोज कराया गया। यह तेरहवीं पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। बिट्टू की मौत के बाद उसकी साथी डॉग पायल भी सदमे में है। 5 दिनों तक उसने कुछ नहीं खाया और रोती रही। रविवार को जब तेरहवीं में बिट्टू डॉग की फोटो रखी गई तो पायल डॉग पास जाकर बैठ गई। संजीव परिहार खेती-बाड़ी करते हैं। कुछ भैंसे भी पाले हुए हैं। संजीव परिहार ने बताया कि मेरा डॉग बच्चे के सामान था। उसने मुझे कई बार सांप से बचाया है।