फतेहपुर – जिला अस्पताल में खोला गया इंसेंटिव केयर यूनिट (आईसीयू) जिम्मेदारों की संवेदनहीनता के चलते कबाड़ में तब्दील हो चुका है। हाल यह है कि 10 बेड वाले आईसीयू में टूटे फर्नीचर के साथ अन्य कबाड़ भरा है। नतीजतन यहां पहुंचे गंभीर मरीजों को कानपुर का गेट पास थमा दिया जाता है। जिला अस्पताल के अभिलेखों में आईसीयू करीब एक साल से क्रियाशील है। अस्पताल की दूसरी मंजिल के एक बड़े हाल में आईसीयू लिखकर ताला बंद कर दिया गया है। वेंटीलेटर समेत आपातकालीन स्थिति में मरीजों को लगाए जाने वाले चिकित्सकीय उपकरण स्टोर में रखे हैं। आईसीयू के नाम पर नए बेड जरूर लगा दिए गए हैं, लेकिन हैरत की बात यह है कि यहां मरीज एक भी भर्ती नहीं हैं। आईसीयू हाल में कबाड़ भर कर ताला बंद कर दिया गया है। जिला अस्पताल में हर रोज सड़क दुर्घटना व अन्य गंभीर रोगी उपचार के लिए पहुंचते हैं, लेकिन आईसीयू न होने की बात कहते हुए डॉक्टर कानपुर हैलट सीधे रेफर कर देते हैं। इसमें कई बार मरीज को तत्काल उपचार न मिलने पर मौत भी हो जाती है। अस्पताल में आईसीयू के सारे संसाधन होने के बावजूद संचालन नहीं करना सवाल खड़े करता है। आईसीयू क्रियाशील करने के लिए कम से कम चार एनेस्थीसिया डाॅक्टरों की जरूरत है, लेकिन अस्पताल में सिर्फ एक की तैनाती है। इसीलिए आईसीयू चालू नहीं हो पा रहा है। शासन को एनेस्थीसिया डाक्टरों की कमी पूरा करने के लिए लिखा गया है।