काली सेना नामक धार्मिक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने हिमालयी क्षेत्र में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने वाला कानून बनाने की मांग की है. काली सेना ने उत्तराखंड सरकार को चेतावनी दी है कि अगर हिमालय उत्तराखंड में गैर हिंदुओं के जाने पर रोक नहीं लगाई गई तो जबरदस्त आंदोलन चलाया जाएगा. काली सेना का कहना है कि ये आंदोलन इतना प्रचंड होगा कि सरकारी मशीनरी के तामझाम के बावजूद रुके नहीं रुकेगा. हरिद्वार में मीडिया से बात करते हुए स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में लव जिहाद, थूक देहात, लैंड जिहाद जैसे तमाम जिहाद सामने आ रहे हैं. ये सरकार की लापरवाही का नतीजा है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि 12 जनवरी तक सरकार गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने वाला कानून लागू करें.
आनंद स्वरूप ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा और 12 जनवरी के बाद देहरादून में सचिवालय का घेराव किया जाएगा. वहीं उससे पहले उत्तराखंड में ढाई महीने तक जन-जन से संपर्क किया जाएगा. स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि उत्तराखंड के हर गांव हर शहर में लोगों को जागरूक किया जाएगा और जन समर्थन जुटाया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम किसी भी हालत में उत्तराखंड राज्य का इस्लामीकरण नहीं होने देंगे. हरिद्वार और ऋषिकेश में 1915 में एक कानून लागू किया गया था जिसके तहत यहां पर गैरहिदुओं का स्थाई रूप से रहना उनका जमीन खरीदना या अन्य संपत्ति खरीदना गैरकानूनी है. यह नियम अभी भी लागू है. हम चाहते हैं कि उत्तराखंड सरकार इस कानून का विस्तार करें और इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार उत्तराखंड के इस्लामी कारण होने के प्रति लापरवाह बनी हुई है और सोची समझी साजिश के तहत उत्तराखंड का इस्लामीकरण किया जा रहा है. स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि राज्य सरकार सो रही है और हमें सरकार को जगाना है. हिमालय किसी के रहने के लिए नहीं है बल्कि है तपोभूमि है और यह आध्यात्मिक भूमि है. हिमालय हम हिंदुओं का देवालय है. हमें हिमालय के देवत्व को बचाना है. उत्तराखंड और हिमालय क्षेत्र 1990 का कश्मीर बनता जा रहा है और हमें उत्तराखंड हिमालय को कश्मीर बनने से बचाना है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार को कुछ समझ नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा कि यदि उत्तरकाशी से 15 जनवरी 2025 तक मस्जिद नहीं हटेगी तो जबरदस्त आंदोलन चलाया जाएगा राज्य सरकार को हमने 15 जनवरी की समय सीमा दी है.