– केन नदी की जलधारा में गरज रहीं दैत्याकार मशीने
–
– खनन माफिया के सामने बौना साबित हो रहा प्रशासन
ब्यूरो मुन्ना बक्श न्यूज़ वाणी बांदा। जिले की अवैध खनन के लिए कुख्यात मरौली खण्ड पांच का खनन माफिया अवैध खनन कर प्रशासन को खुली चुनौती दे रहा है।
उत्तर प्रदेंश की योगी सरकार में जीरो टालरेंस की नीति से जहां अपराधियों के हौसले तो पस्त हो चुके हैं। वहीं खनन अपराधी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। जनपद में सबसे बुरा हाल मटौंध थाना क्षेत्र के अन्तर्गत संचालित मरौली खण्ड पांच की खदान की है। पिछले महीने इस खदान में डीएम के निर्देश पर छापेमारी के दौरान अवैध खनन पाये जाने पर 54 लाख का जुर्माना किया था और खदान संचालक को अपने कार्य में सुधार की हिदायत दी थी। लेकिन कार्यवाही के बाद से इस खदान में दो गुना तेजी से अवैध खनन कार्य हो गया है। केन नदी की जलधारा मंे दैत्याकार लिफ्टर मशीने तांडव मचा रही है। अवैध खनन इतने उरूज पर है कि मानो केन नदी का अस्तित्व ही खनन कारोबारी के इशारे पर समाप्त होकर ही रहेगा। वहीं ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इस खदान संचालक से अधिकारियों की तगड़ी सेटिंग है। ले-देकर अधिकारी मामले को रफा-दफा किये हुये हैं तथा पूरी तरह से खदान संचालक को जिम्मेदार अधिकारियों ने छूट दे रखी है। इसी छूट का फायदा खनन कारोबारी उठा रहा है। रोजाना दर्जनभर लिफ्टर मशीने अवैध खनन करती हैं। जिससे सैकड़ो ओवरलोड ट्रक इस खदान से भरकर रवाना जा जाते हैं। एनजीटीे के सारे नियम- कायदों को ताकर पर रखकर खदान संचालक असलहाधारी गुण्डों के दम पर अवैध खनन के कार्य को अंजाम दे रहा है। शक्तिशाली मशीनों को नदी की जलधारा में उताकर दिनरात धड़ल्ले से अवैध खनन का कार्य किया जा रहा है। एनजीटी व सरकारी आदेशों को दरकिनार कर खुलेआम दिन के उजाले में केन नदी का सीना छलनी करने के लिए बीच जलधारा में खनन के लिए पोकलैंड मशीनों का उतार दिया गया है। एक ओर जहां एनजीटी की गाइड लाईन के विरूद्ध मरौली खण्ड पांच में जहां अवैध खनन किया जा रहा है। तो वहीं दूसरी ओर इन मशीनों की कार्यशैली जलीय जीवों का अस्तित्व भी खतरे मंे पड़ गया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि लगातार समाचार पत्रों में खबरों का प्रकाशन होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। वहीं खनन कारोबारी अपने रसूख के दम पर केन नदी को बंधक बनाकर धड़ल्ले से अवैध खनन करने में मशगूल है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब इस खदान की जांच कर कार्यवाही करता है।