एयरपोर्ट पर खाने-पीने की चीजें किफायती दाम पर भी मिलेंगी। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) इसके लिए हवाई अड्डों पर किफायती जोन अनिवार्य करने जा रहा है। यानी हर एयरपोर्ट पर कुछ स्थान किफायती जोन के रूप में आरक्षित होगा, जहां यात्री सस्ते में खाने-पीने का सामान खरीद सकेंगे। एएआई के अधिकारियों का कहना है कि इन आउटलेट्स पर खाने-पीने का सामान लगभग 60-70 फीसदी तक सस्ता मिलेगा। अभी एयरपोर्ट पर एक चाय लगभग 125-200 रुपए तक की मिलती है, लेकिन किफायती जोन में यह 50-60 रु. के बीच मिल सकेगी।
हां, इतना जरूर है कि महंगे रेस्तरां की तरह सर्विस और क्वांटिटी का अंतर होगा। यानी बैठने की जगह स्टैंडिंग टेबल लगी होगी। छोटे कप या गिलास में चाय दी जाएगी। फुल मील की जगह कॉम्पैक्ट मील होगा। पैकिंग की बेसिक क्वालिटी में सामान उपलब्ध होगा। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है, लंबे समय से यात्री और हर राज्य के जनप्रतिनिधि शिकायत करते रहे हैं कि एयरपोर्ट पर खाने-पीने का सामान इतना महंगा होता है कि आम यात्री नहीं खरीद पाते।
सामान्य यात्रियों को घर से एयरपोर्ट पहुंचने और फिर यात्रा पूरी करके गंतव्य तक पहुंचने में लगभग छह से सात घंटे का औसत समय लगता है। चूंकि एयरपोर्ट और विमान दोनों ही जगह ऐसी हैं जहां यात्री चाय-पानी या भोजन कर सकता है। मगर कीमतें इतनी ज्यादा होती हैं कि लोग कुछ खाने-पीने से ज्यादा भूखा रहना ही बेहतर मानते हैं। सूत्रों का कहना है कि मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और कोच्चि एयरपोर्ट पर घरेलू विमानों के डिपार्चर एरिया में ऐसी जगहों की पहचान कर ली गई है।
यहां किफायती दरों पर खाने-पीने के 6-8 आउटलेट खुलेंगे। नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने पिछले दो महीनों में इस समस्या के निदान पर 3 बैठकें कीं। इनमें एएआई, हवाई अड्डा संचालन करने वाली कंपनी (डायल) व एयरपोर्ट पर खाने-पीने के आउटलेट चलाने वाली कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। बैठक के बाद यह तय किया गया कि जिन एयरपोर्ट का निर्माण अभी चल रहा है।
वहां घरेलू विमानों के संचालन वाले एरिया में एक जोन बजट ईटरीज या लाइट पे एरिया के रूप में अनिवार्य रूप से विकसित किया जाए। मौजूदा एयरपोर्ट के भी घरेलू उड़ान वाले एरिया में ऐसे जोन बनाने का निर्देश दिया गया है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों का कहना है कि इकोनॉमी जोन में सिर्फ खाने-पीने की ही सुविधा मिलेगी। इसी से संबंधित आउटलेट होंगे। वहां कपड़ों, खिलौनों, मोबाइल स्टोर या अन्य खरीदारी के आउटलेट नहीं होंगे।
इसका मकसद आम यात्रियों को सस्ती दर पर खान-पान की सुविधा मुहैया कराना है, जो किसी भी यात्री की बेसिक जरूरत होती है। सूत्रों के मुताबिक, इन किफायती जोन के एरिया को लेकर अभी कोई नियम तय नहीं हुआ है। यह एयरपोर्ट के आकार और विमान व यात्रियों की संख्या के हिसाब से निर्धारित किया जाएगा। छोटे और मझोले एयरपोर्ट पर इतनी जगह बनाएंगे, जिसमें 6-8 दुकानें हों और प्रतिघंटे 160-200 यात्रियों को हैंडल करने की क्षमता हो। दिसंबर तक देश के तीन एयरपोर्ट पर यह सुविधा शुरू होने की उम्मीद है।
कोशिश है कि अगले छह महीने के अंदर ही हर एयरपोर्ट पर इकॉनोमी जोन डेवलप कर दिए जाएं। चूंकि दिसंबर व जनवरी में कोहरे की वजह से विमानों के परिचालन में ज्यादा देरी होती है, लिहाजा यात्रा और वेटिंग समय भी बहुत बढ़ जाता है। ऐसे में इकोनॉमी जोन वाले यात्रियों को इससे बड़ी सहूलियत मिल जाएगी।