इंदौर में अनोखी वीगन शादी: बिना ढोल-पनीर, फिर भी जश्न दोगुना

 

आज के समय में शादियां दिखावा बन गईं हैं. शादी में दिखावे के नाम पर लोग लाखों करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा देते हैं. लेकिन इंदौर का एक शाह परिवार वीगन शादी करने जा रहा है. जो बहुत सिंपल रहने वाला है. इस शादी में शामिल होने वाले मेहमानों को डेयरी प्रोडक्ट्स से बने पकवान नहीं परोसे जाएंगे, जो भी पकवान बनेगा वह वीगन रहेगा. यही नहीं शाह परिवार के इस वीगन शादी में ना तो ढोल बजेगा और ना ही दूल्हा घोड़ी पर चढ़कर आएगा.

आइए जानते हैं शाह परिवार के इस वीगन शादी की खासियत दरअसल, इंदौर के रहने वाले गिरीश शाह का परिवार दूसरी बार वीगन शादी करने जा रहा है. 18 नवंबर को गिरीश की छोटी बेटी क्षमा की शादी है. इस शादी में शाह परिवार ने निमंत्रण कार्ड भी नहीं छपवाया है. उन्होंने मेहमानों को डिजिटल निमंत्रण दिया है. जिसमें उन्होंने अपने मेहमानों से ऊन-सिल्क के कपड़े न पहनने और  लेदर का बेल्ट पहनकर न की अपील की है.  मध्य प्रदेश में जैन समाज की ये चौथी वीगन शादी होने जा रही है.

इससे पहले हले तीन शादियां हो चुकी हैं. इंदौर के रहने वाले गिरीश शाह अपनी बिटिया की शादी में मेहमानों को वीगन डिश परोसेंगे. वे अपने यहां शादी में मेहमानों को वही डिश परोसेंगे जो उन्हें आसानी से उपलब्ध हो जाए. इनके यहां की शादी में आने वाले मेहमानों को चाय, दूध, दही, पनीर, गुलाब जामुन, दाल-बाफले, लड्डू, कढ़ी, कुल्फी, चटपटी चाट सब परोसे जाएंगे. लेकिन ये सब दूध रहित यानी वीगन होंगे. गिरीश शाह के यहां शादी में नॉर्मल घी के बजाय वनस्पति घी का इस्तेमाल होगा. मावे से बनी कोई मिठाई नहीं इस्तेमाल होगी.

इसके जगह पर काजू कतली रहेगी. जो भी मिठाई बनेंगे वो वीगन होंगे. पनीर की सब्जी के लिए सोया पनीर का इस्तेमाल होगा. शादी में घोड़ा, पटाखे और प्लास्टिक का उपयोग भी नहीं होगा. घोड़े के जगह  कार का उपयोग किया जाएगा. गिरीश शाह ने अपने बेटी की शादी में आमंत्रित किए सभी मेहमानों से आग्रह किया है कि वोसिल्क, ऊन, लेदर वाले आइटम शादी वाले दिन उपयोग ना करें. इनके इस अपील पर अधिकांश मेहमानों ने समर्थन दिया है. गिरीश शाह जैन समुदाय से आते हैं और वे शाकाहार का पालन करते हैं.

उन्होंने बताया कि वे पहले घर में दूध, दही, मावा समेत सारे डेयरी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते थे. लेकिन बाद में मुझे बता चला कि इससे जानवरों पर कितना अत्याचार होता है. जिसके बाद मैंने डेयरी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल तुरंत ही बंद कर दिया और पशु क्रूरता के खिलाफ ऑनलाइन कैंपेन चलाता रहा.  एक मीडिया संस्थान ने बातचीत के दौरान जब गिरीश शाह से पूछा कि कि अरबों लोग दूध पीते हैं तो क्या वे गलत हैं? तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि “प्राकृतिक रूप से किसी भी स्तनधारी जीव में दूध तब बनता है, जब वह बच्चे को जन्म देता है.

मनुष्य हो या पशु, सभी पर ये बात समान रूप से लागू होती है. मनुष्य अपनी मां का दूध पीने के बाद दूसरी मां (गाय, भैंस आदि) का दूध पीता है. इंसान का बच्चा दांत आने के बाद भी बुढ़ापे तक दूध पीता है जबकि दूसरे स्तनधारी प्राणियों के बच्चे जैसे गाय या हाथी का बच्चा दांत आने के बाद खाने लगता है. वह उम्र भर दूध नहीं पीते. ऐसे में किसी अन्य मवेशी का दूध पीना न तो नैतिक दृष्टि से सही है और न ही प्राकृतिक रूप “

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