भक्ति और श्रद्धा का संगम: कृपालु महाराज की बेटी की शव यात्रा में 12 देशों का सहभाग

 

मथुरा में कृपालु महाराज की बड़ी बेटी डॉ. विशाखा का अंतिम संस्कार गुरुवार को यमुना तट पर किया गया. सुबह करीब 10:30 बजे उनके बड़े भाई घनश्याम के बेटे रामानुज ने उन्हें मुखाग्नि दी. इससे पहले सुबह 6:30 बजे वृंदावन के प्रेम मंदिर से उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई. विशाखा और उनकी दो बहनों का रविवार को यमुना एक्सप्रेसवे पर भयानक एक्सीडेंट हो गया था. इसमें उनकी मौत हो गई. जबकि दो बहनें घायल हैं.  डॉ. विशाखा की अंतिम यात्रा में दुनियाभर से भक्त शामिल हुए. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अन्य 12 देशों से श्रद्धालु यात्रा में शामिल होने पहुंचे. यात्रा के दौरान प्रेम मंदिर के बाहर भजन-कीर्तन किया गया और श्रद्धालु भावुक हो गए. श्रद्धांजलि देने के लिए जगह-जगह पुष्प वर्षा की गई, यह अंतिम यात्रा 6 किलोमीटर लंबी थी. प्रेम मंदिर से जुड़े ट्रस्ट की कमान विशाखा ही संभालती थीं.

अंतिम यात्रा में शामिल सभी भक्त भगवा (पीताम्बर) रंग के वस्त्र पहने हुए थे, जैसा कि कृपालु जी महाराज ने हमेशा अपने अनुयायियों से पहनने के लिए कहा करते थे. इस कारण से यात्रा में हर कोई एक समान ड्रेस पहने हुए था, जो एकता का प्रतीक बना. तीन दिनों तक डॉ. विशाखा का शव प्रेम मंदिर में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था. उनकी यात्रा और श्रद्धांजलि का यह दृश्य उनके जीवन की गहरी छाप छोड़ गया.  डॉ. विशाखा का निधन 24 नवंबर को नोएडा के जेवर में एक कार हादसे में हुआ था. रास्ते में रुके उनकी कारों के काफिले में एक टैंकर ने जोरदार टक्कर मार दी थी. इस हादसे के पीछे साजिश की आशंका जताई जा रही है और पुलिस घटना की जांच कर रही है.

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