सहारनपुर: एक ओर जहां दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते NGT ने देश भर में पराली, फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाया है. वहीं जनपद सहारनपुर में कुछ लोग NGT के निर्देशों को न सिर्फ ठेंगा दिखा रहे हैं, बल्कि पुराने टायर जलाकर पर्यावरण को भी प्रदूषित किया जा रहा है. आमजन के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है. सहारनपुर में टायर जलाने के लिए दर्जनों फैक्टरियां चल रही हैं. जिला प्रशासन इन फैक्ट्रियों से अनजान बना हुआ है. हालांकि इन फैक्टरियों को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से NOC जारी की गई है. फैक्टरी संचालक सैटेलाइट से बचने के लिए रात के अंधेरे में टायरों को जलाकर तार, तेल और कार्बन पॉउडर निकाल रहे हैं.
थाना देहात कोतवाली इलाके के गांव शंकलापुरी के जंगल में रात भर टायर जलाने वाली फैक्ट्रियां चलाई जा रही हैं. जो फैक्टरियां प्रदूषण विभाग द्वारा सील की गई हैं, वो भी रात के अंधेरे में जहरीला धुआं उगल रही हैं. रात में घरों में सोने वाले ग्रामीणों को जाग कर रात गुजारनी पड़ती है. जहरीली गैस से फैल रही बीमारियों के कारण ग्रामीणों की नींद उड़ी हुई है. जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर बसे गांव शंकलापुरी, खुबनपुर, शाहपुर कदीम, सरकड़ी खुमार, कोलकी और मनसापुर गांव में इन फैक्टरियों से निकलने वाले धुंए ने जीना दुश्वार किया हुआ है. इन गांवों के आसपास सात से अधिक टायर फैक्ट्रियां जहर उगल रही हैं.
फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला धुआं ग्रामीणों को बीमार कर रहा है. ग्रामीण कैंसर, दमा, टीबी और हृदय रोग से पीड़ित हो चुके हैं. ग्राम प्रधान जावेद का कहना है कि गांव के पास 12 साल से ये फैक्टरियां लगी हुई है. इन फैक्टरियों में पुराने टायर जलाए जाते हैं. जिससे गांव में धुआं और जहरीली गैस फैलती है. लोगों को सांस लेने, आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत और फेफड़ों में दिक्कत होती है. पिछले 5 साल से फैक्ट्रियों के धुएं से लोग दिल के मरीज हो गए हैं. कुछ लोगों को कैंसर, टीबी और अस्थमा हो गया है. इसके लिए कई बार अधिकारीयों को शिकायत कर चुके हैं. लेकिन, कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
वहीं जब इन फैक्टरियों के बारे में जिलाधिकारी मनीष बंसल से बात की गई तो उन्होंने बताया, कि ये फैक्टरी उनकी जानकारी में नहीं हैं. अगर प्रदूषण फैलाने और मानकों के विपरीत कोई काम होने की कोई शिकायत आती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.