बदायूं: उत्तर प्रदेश के बदायूं की जिला अदालत में हलचल काफी रही। बदायूं शम्सी जामा मस्जिद- नीलकंठ महादेव मंदिर विवाद में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है। दोनों पक्षों को पहले ही केस अपना-अपना पक्ष रखने का आदेश दिया गया था। मंगलवार की सुनवाई के दौरान बहस पूरी नहीं हो पाई। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार करते हुए 10 दिसंबर को अगली सुनवाई की तरीख निर्धारित की है। अभी शम्सी जामा मस्जिद पर हिंदू पक्ष की ओर से किए जाने वाले दावे संबंधी याचिका को सुनवाई के योग्य माना जाए या नहीं, इस बिंदु पर बहस चल रही है। 10 दिसंबर की सुनवाई के बाद इस मामले में कोर्ट की ओर से निर्णय आ सकता है।
- जिला जज की ओर से मामले की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित
- सुनवाई में हिंदू और मुस्लिम पक्ष देंगे दलील, एएसआई और सरकार भी पार्टी
- शम्सी जामा मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने का किया गया है दावा
नीलकंठ महादेव मंदिर बनाम जामा मस्जिद प्रकरण में इंतजामिया कमेटी की तरफ से मंगलवार को बहस हुई। इसके बाद अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 10 दिसंबर की तारीख तय कर दी। नीलकंठ महादेव मंदिर बनाम जामा मस्जिद के मामले में मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट अमित कुमार के न्यायालय में सुनवाई हुई। इसमें इंतजामिया कमेटी की तरफ से अधिवक्ताओं ने दलील रखी। कहा यहां शुरू से ही नमाज होती आ रही है। पुरातत्व विभाग में भी यह जामा मस्जिद के नाम से दर्ज है। दलीलें सुनने के बाद अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 10 दिसंबर की तारीख लगा दी। इस दौरान अदालत में सुबह से ही सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम थे। मामले को लेकर कचहरी में खासी चर्चा रही।
इसके लिए दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने दावे किए जा रहे हैं। यूपी के संभल में शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर होने का दावा किए जाने के बाद हुए सर्वे को लेकर जमकर बवाल मचा। 24 नवंबर को संभल में जमकर हिंसा हुई थी। इसमें चार लोगों की मौत हो गई। इसके बाद बदायूं की कोर्ट में यह मामला गरमाता दिख रहा है। हिंदू पक्ष की ओर से बदायूं की शम्सी जामा मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया गया है। बदायूं फास्ट ट्रैक कोर्ट में मंगलवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से सुनवाई पूरी नहीं हो पाई।
पोषणीयता पर हो रही सुनवाई
शम्सी जामा मस्जिद प्रकरण में मंगलवार को जिला कोर्ट में सुनवाई हुई। इसको लेकर भी जमकर राजनीति गरमाई हुई है। वहीं, शम्सी जामा मस्जिद- नीलकंठ महादेव मंदिर विवाद की सुनवाई के लिए बदायूं जिला अदालत में स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया गया है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को बहस के लिए बुलाया गया। हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने अपनी-अपनी दलील दी। दोनों पक्ष अपना दावा कर रहे हैं। याचिका की पोषणीयता पर अब 10 दिसंबर को सुनवाई होगी।
मंदिर तोड़ मस्जिद बनाने का दावा
हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया है कि नीलकंठ महादेव मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई। वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि शस्मी मस्जिद में कभी मंदिर या मूर्ति होने का कोई सबूत नहीं मिला है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि सूफी विचारक बादशाह शमशुद्दीन अल्तमश की ओर से इस मस्जिद का निर्माण कराया गया था। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि बादशाह शमशुद्दीन अल्तमश बदायूं आए थे। उन्होंने यहां पर अल्लाह की इबादत करने के लिए इस मस्जिद का निर्माण कराया था। 850 साल से यहां मस्जिद है। इस मस्जिद में मंदिर या मूर्ति होने का कोई सबूत नहीं है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि इस मस्जिद को लेकर जो दावे किए जा रहे हैं, वो झूठे हैं।