साइबर ठगी और डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, गुजरात के साबरकांठा का है, जहां एक व्यक्ति ने अधिक मुनाफे के लालच में आकर पांच वर्षों में छह हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। गुजरात के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सीआईडी, राजकुमार पांडियन ने बताया कि पोंजी योजना के तहत लोगों से ठगी का यह पूरा घोटाला 6,000 करोड़ रुपए का है। उन्होंने यह भी कहा कि इस घोटाले का मुख्य आरोपी भूपेंद्र सिंह जाला है, जो साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर तालुका का निवासी है। जब सीआईडी ने उसके ठिकानों पर छापेमारी की, तो वह फरार हो गया। पुलिस महानिदेशक सीआईडी, राजकुमार पांडियन ने बताया कि भूपेंद्र सिंह जाला की कंपनी के लिए काम करने वाले एक एजेंट अनंत दर्जी को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने भूपेंद्र सिंह जाला से जुड़े परिसरों पर छापेमारी के दौरान 16.37 लाख रुपए नकद, तीन लैपटॉप, 11 मोबाइल फोन, रबर स्टैंप, दस्तावेज और पैन कार्ड जब्त किए हैं।
राजकुमार पांडियन ने बताया कि भूपेंद्र सिंह जाला ने शिक्षकों, किसानों, पुलिसकर्मियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ज्यादा मुनाफे का लालच देकर ठगा है। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी ने अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर नेताओं के साथ तस्वीरें पोस्ट की थीं, जिसमें बड़े-बड़े नेताओं के साथ उसकी फोटो थी। जाला प्रत्येक एजेंट को निवेश के बदले 5 से 25 प्रतिशत तक कमीशन देता था। सीआईडी ने उसके दोनों बैंक खातों की जांच की, और इन खातों से 175 करोड़ रुपए का लेन-देन पाया गया। गुजरात की बीजेडी ग्रुप द्वारा एक स्कीम “एक का दो” लॉन्च की गई थी, जिसमें कई हाई प्रोफाइल लोग निवेश करते हुए ठगी का शिकार हो गए। इस स्कीम में शामिल होने वाले व्यक्तियों में क्रिकेटर्स शुभमन गिल, राहुल तेवतिया, मोहित शर्मा, साईं सुंदर और अभिनेता सोनू सूद भी शामिल हैं।
मास्टरमाइंड भूपेंद्र सिंह जाला है, जिसने यह स्कीम चलाकर लोगों से बड़ी रकम ठगी। निवेशकों को ज्यादा मुनाफे का लालच देकर जाला ने करोड़ों रुपये की ठगी की। जांच में यह भी सामने आया कि इस स्कीम के तहत कई बड़े नामों ने पैसे लगाए थे, जो अब इस घोटाले के शिकार हो गए हैं। भूपेंद्र सिंह जाला के ठगी के मामले में सीआईडी को इनपुट मिलने के बाद, उसने एक महीने तक उसके फोन नंबर को सर्विलांस पर रखा था। जाला बीजेड फाइनेंशियल सर्विसेज नामक फर्म चलाता था और उसने उत्तरी गुजरात, गांधीनगर और वडोदरा में लोगों से पैसे जुटाए थे। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सीआईडी, राजकुमार पांडियन ने बताया कि जाला खुद को बीजेड ग्रुप का सीईओ बताता था और अवैध रूप से लोगों से राशि इकट्ठा करता था। जानकारी के अनुसार, जाला के पास भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) या किसी अन्य प्राधिकरण से कोई अनुमति नहीं थी। लोगों का विश्वास जीतने के लिए उसने शुरुआत में समय पर रिटर्न दिया और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कमीशन पर एजेंट भी नियुक्त किए थे।