उत्तर प्रदेश: मेरठ के कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र के बद्रीशपुरम के रहने वाले वैभव ने टोक्यो की रीसा संग 7 फेरे लिए. 2 दिसंबर को दोनों लव बर्ड्स शादी के बंधन में बंध गए. दूल्हे ने जापानी रीसा को हिंदुस्तानी बहू बना दिया. जापान की राजधानी टोक्यो MBA की पढ़ाई करने गया था। मैं फॉरेन एजुकेशन लेकर इंडिया की कंपनी में जॉब करना चाहता था। वहां पढ़ाई के दौरान कई दोस्त बने। ज्यादातर जापान के ही रहने वाले थे। पढ़ाई खत्म हुई और मैं वापस मेरठ अपने घर लौट आया। एक मार्केटिंग कंपनी में जॉब लगी, वर्क फ्रॉम होम में मेरठ रहकर ही काम कर रहे थे। 2 साल पहले रीसा टोक्यो से बेंगलुरु आई। उनकी कंपनी का एक प्रोजेक्ट इंडिया में था। इधर, वैभव के टोक्यो के 1 दोस्त ने कॉल करके कहा कि हमारे देश की एक लड़की आपके देश में गई है। हो सके तो उसकी मदद कर दीजिएगा। वैभव के पास रीसा का नंबर आया। पहली बार उनकी मोबाइल पर बात हुई।
इसके बाद वैभव मिलने के लिए बेंगलुरु गए। यहां पहली बार कॉमन फ्रेंड के जरिए दोनों मिले। दोनों में बातचीत शुरू हुई। पहले ये बातचीत प्रोफेशनल थी। काम तक सीमित, मगर बाद में दोनों को एक–दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा। वैभव कहते हैं- रीसा मुझे एक नजर में पसंद आने लगी थी। मगर दोनों देशों के अलग–अलग कल्चर को देखते हुए फैसला लेने में लेट किया। फिर एक दिन मैंने प्रपोज कर दिया। रीसा भी मान गईं। दोनों के बीच इंग्लिश ही बोलचाल की भाषा है। रीसा हिंदी नहीं समझ पाती तो वैभव को ज्यादा अच्छी जापानी नहीं आती थी। दोनों अंग्रेजी में कम्युनिकेशन करते हैं। वैभव बताते हैं हम दोनों ने शादी करने का डिसाइड किया। इसके बाद दोनों ने अपने-अपने घरवालों को बताया। रीसा के पिता अहमदाबाद, गुजरात की एक कंपनी में पोस्टेड है। लेकिन, परिवार टोक्यो में रहता है। वो वैभव से मिलने के बाद शादी के लिए मान गए।
वैभव कहते हैं- मेरा परिवार भारतीय संस्कारों वाला है, तो अपने परिवार को राजी करने में मुझे थोड़ा वक्त लगा। लेकिन अब पूरे परिवार की सहमति और खुशी से हमने शादी की है। सबका आशीर्वाद लिया है। रीसा बताती हैं- उन्हें भारतीय संस्कृति, रीति रिवाज, पहनावा सब बहुत पसंद आया। अपनी शादी में हल्दी की रस्म सबसे ज्यादा पसंद आई। उसकी मस्ती, इंडियन डांस, इंडियन फूड सब अच्छा लगा। रीसा ने अपने हाथों में हिंदुस्तानी दुल्हनों की तरह मेहंदी लगवाई, जिसमें पति वैभव का नाम लिखवाया। वैभव ने भी मेंहदी में रीसा का नाम लिखवाया है।
रीसा कहती हैं- हम जल्द मलेशिया में शिफ्ट होंगे। वहीं अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाएंगे। वैभव के पिता दिवाकर नंद ध्यानी ने बताया कि वो इस शादी से बेहद खुश हैं। परिवार में किसी को कोई आपत्ति नहीं। बहू रीसा के लिए परिवार ने अपनी पहाड़ी संस्कृति के अनुसार गढ़वाली नथ और सारे गहने सोने में बनवाए। वह कहते हैं कि ये सारा श्रृंगार पहनकर रीसा एकदम हमारी अपनी गढ़वाली बहू लगती है। हम बहुत खुश हैं। रीसा के पिता अहमदाबाद, मम्मी टोक्यो, छोटी बहन नीदरलैंड से शादी में आए। विदेशी दोस्त भी दूसरे देशों से पहुंचे।