लखनऊ: पति-पत्नी की अर्थी निकली तो हर किसी के आंसू छलक उठे। कांपते हुए हाथों से बेटे ने माता-पिता को मुखाग्नि दी। दुर्गा चुपचाप शांत मुद्रा में भाई के साथ रही। कॉलोनी के लोग एक-दूसरे के कंधे पर सिर रखकर गम छिपा रहे थे। परिवार के लोगों को रिश्तेदार दिलासा देते रहे। रिश्तेदारों का कहना है कि दोनों रात के बजाय दिन में यात्रा करने का फैसला लिया था। ताकि सफर सुरक्षित रहे, लेकिन काल चक्र से बचना संभव नहीं था। शुक्रवार को कन्नौज में डबल डेकर बस हादसे में दोनों की मौत हो गई। रविवार को बेटे इशांक ने माता-पिता का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया।
दाह संस्कार के दौरान भाई-बहन की पथराई आंखें और मौन चेहरा सभी की संवेदनाओं को झकझोर दिया। डॉ. धर्मेंद्र वाष्णेय लखनऊ के प्रतिष्ठित प्रबंधन और इंजीनियरिंग कॉलेजों में उच्च पदों पर रह चुके हैं। वह आशियाना थाना क्षेत्र के सेक्टर जे-340 में रहते थे। उनका सपना था कि बेटा और बेटी सफल भविष्य बनाएं। दंपति अपनी बेटी दुर्गा को दिल्ली हॉस्टल में शिफ्ट करने के लिए बस से दिल्ली जा रहे थे। दुर्गा पुणे से फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। दिल्ली में इंटर्नशिप करने जा रही थी। बेटा इशांक मोहन वाष्णेय आईआईटी जोधपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद टेक्सास यूनिवर्सिटी अमेरिका से पीएचडी कर रहे हैं।
डॉ. धर्मेंद्र की मां विमला कुमारी और पत्नी अंकुर की मां विजय लक्ष्मी वाष्णेय का रो-रोकर बुरा हाल है। विजय लक्ष्मी भी बेटी के घर के पास खरीदी थी। दोनों की देखभाल का दायित्व धर्मेंद्र और अंकुर पर था। अब बच्चों पर ये जिम्मेदारी आ गई है। आशियाना सेक्टर-जे स्थित वाष्णेय दंपत्ति का घर अब सन्नाटे में डूबा है। पड़ोसियों ने बताया कि डॉ. धर्मेंद्र का स्वभाव विनम्र था। वह हमेशा लोगों की मदद करते थे। पत्नी अंकुर भी समाजसेवा में सक्रिय थीं। ऐसे दंपत्ति को खोना समाज की क्षति है।