AI इंजीनियर की खुदकुशी: पत्नी की प्रताड़ना और 24 पन्नों की दर्दभरी कहानी

 

बेंगलुरु में AI इंजीनियर अतुल सुभाष की खुदकुशी मामले में चार लोगों पर FIR दर्ज की गई है।  अतुल के परिवार की शिकायत पर पुलिस ने अतुल की पत्नी और पत्नी के परिवार पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है। अतुल सुभाष ने 24 पेज के लेटर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम भी एक लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की खामियों के बारे में लिखा और पुरुषों के खिलाफ झूठे केस दर्ज कराने के ट्रेंड के बारे में बताया। अतुल ने पूरा मामला विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने 2019 में एक मैट्रिमोनी साइट से मैच मिलने के बाद शादी की थी। अगले साल उन्हें एक बेटा हुआ। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी और पत्नी का परिवार उनसे हमेशा पैसों की डिमांड करता रहता था, जो वो पूरी भी करते थे। उन्होंने लाखों रुपए अपनी पत्नी के परिवार को दिए थे, लेकिन जब उन्होंने और पैसे देना बंद कर दिया तो पत्नी 2021 में उनके बेटे को लेकर बेंगलुरु छोड़कर चली गई।

अतुल ने कहा, ‘मैं उसे हर महीने 40 हजार रुपए मेंटेनेंस देता हूं, लेकिन अब वो बच्चे को पालने के लिए खर्च के तौर पर 2-4 लाख रुपए महीने की डिमांड कर रही है। मेरी पत्नी मुझे मेरे बेटे से न तो मिलने देती है, न कभी बात कराती है। ‘पूजा या कोई शादी हो, निकिता हर बार कम से कम 6 साड़ी और एक गोल्ड सेट मांगती थी। मैंने अपनी सास को 20 लाख रु. से ज्यादा दिए, लेकिन उन्होंने कभी नहीं लौटाए।’  अगले साल पत्नी ने उनके और उनके परिवार के लोगों के खिलाफ कई मामले दर्ज कराए। इनमें मर्डर और अप्राकृतिक सेक्स का केस भी शामिल था। अतुल ने कहा कि उनकी पत्नी ने आरोप लगाया कि उन्होंने 10 लाख रुपए दहेज मांगा था, जिसके चलते उसके पिता का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। अतुल ने कहा कि यह आरोप किसी फिल्म की खराब कहानी जैसा है, क्योंकि मेरी पत्नी पहले ही कोर्ट में सवाल-जवाब में इस बात को स्वीकार कर चुकी है कि उसके पिता लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और पिछले 10 साल से दिल की बीमारियों और डायबिटीज के लिए AIIMS में उनका इलाज चल रहा था।

डॉक्टरों ने उन्हें जीने के लिए कुछ ही महीने का समय दिया था, तभी हमने जल्दबाजी में शादी की थी। अतुल ने कहा कि मेरी पत्नी ने ये केस सेटल करने के लिए पहले 1 करोड़ रुपए की डिमांड की थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए कर दिया। उन्होंने कहा कि जब इस 3 करोड़ रुपए की डिमांड के बारे में उन्होंने जौनपुर की फैमिली कोर्ट की जज को बताया तो उन्होंने भी पत्नी का साथ दिया। अतुल ने कहा कि मैंने जज को बताया कि NCRB की रिपोर्ट बताती है कि देश में बहुत सारे पुरुष झूठे केस की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं, तो पत्नी ने बीच में कहा कि तुम भी आत्महत्या क्यों नहीं कर लेते हो। इस बात पर जज हंस पड़ी और कहा कि ये केस झूठे ही होते हैं, तुम परिवार के बारे में सोचो और केस को सेटल करो। मैं केस सेटल करने के 5 लाख रुपए लूंगी।

अतुल ने बताया कि जब इस मामले को लेकर उसने सास से बात की, तो सास ने कहा कि तुमने अभी तक सुसाइड नहीं किया, मुझे लगा आज तुम्हारे सुसाइड की खबर आएगी। इस पर अतुल ने उन्हें जवाब दिया कि मैं मर गया तो तुम लोगों की पार्टी कैसे चलेगी। उसकी सास ने जवाब दिया कि तुम्हारा बाप पैसे देगा। पति के मरने के बाद सब पत्नी का होता है। तुम्हारे मां-बाप भी जल्दी मर जाएंगे। उसमें भी बहू का हिस्सा होता है। पूरी जिंदगी तेरा पूरा खानदान कोर्ट के चक्कर काटेगा। अतुल ने कहा कि मुझे लगता है कि मेरे लिए मर जाना ही बेहतर होगा, क्योंकि जो पैसे मैं कमा रहा हूं उससे मैं अपने ही दुश्मन को बलवान बना रहा हूं। मेरा कमाया हुआ पैसा मुझे ही बर्बाद करने में लग रहा है। मेरे ही टैक्स के पैसे से ये अदालत, ये पुलिस और पूरा सिस्टम मुझे और मेरे परिवार और मेरे जैसे और भी लोगों को परेशान करेगा। मैं ही नहीं रहूंगा तो न तो पैसा होगा और न ही मेरे मां-बाप और भाई को परेशान करने की कोई वजह होगी।

अतुल ने यह भी कहा कि मेरी आखिरी ख्वाहिश ये है कि मेरे बेटे को मेरे माता-पिता को दे दिया जाए। मेरी पत्नी के पास कोई वैल्यू नहीं है, जो वो मेरे बेटे को दे पाए। यहां तक कि वो तो उसे पालने में सक्षम भी नहीं है। इसके अलावा मेरी पत्नी को मेरे मृत शरीर के पास भी न आने दिया जाए। मेरी अस्थियों का विसर्जन भी तब हो, जब मुझे इस केस में न्याय मिले। नहीं, तो मेरी अस्थियों को गटर में बहा दिया जाए।  अतुल ने अपनी आखिरी इच्छा में लिखा- मेरे केस की सुनवाई का लाइव टे​लीकास्ट हो। पत्नी मेरा शव न छू सके। जब तक प्रताड़ित करने वालों को सजा न हो, मेरी अस्थियां विसर्जित न हों। यदि भ्रष्ट जज, मेरी पत्नी और उसके परिजन को कोर्ट बरी कर दे तो मेरी अस्थियां उसी अदालत के बाहर किसी गटर में बहा दी जाएं। मेरे बेटे की कस्टडी मेरे माता-पिता को दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक मतभेदों से पैदा हुए घरेलू विवादों में पति और उसके घर वालों को IPC धारा 498-A में फंसाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर गंभीर चिंता जताई।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 10 दिसंबर को ऐसा ही एक मामला खारिज करते हुए कहा कि धारा 498-A (घरेलू प्रताड़ना) पत्नी और उसके परिजनों के लिए हिसाब बराबर करने का हथियार बन गई है।  शीर्ष कोर्ट ने यह टिप्पणी तेलंगाना से जुड़े एक मामले में की। दरअसल, एक पति ने पत्नी से तलाक मांगा था। इसके खिलाफ पत्नी ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू क्रूरता का केस दर्ज करा दिया। पति इसके खिलाफ तेलंगाना हाईकोर्ट गया, लेकिन कोर्ट ने उसके खिलाफ दर्ज केस रद्द करने से इनकार कर दिया। इसके बाद पति ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। शीर्ष अदालत ने विस्तृत सुनवाई के बाद कहा कि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज केस रद्द न करके गंभीर गलती की है। फिर कोर्ट ने केस रद्द कर दिया। पिछले महीने भी शीर्ष अदालत ने सभी अदालतों को चेतावनी दी थी कि वे यह सुनिश्चित करें कि घरेलू क्रूरता (डोमेस्टिक वॉयलेंस) के मामलों में पति के दूर के रिश्तेदारों को अनावश्यक रूप से न फंसाया जाए।

अतुल के पिता पवन कुमार ने बताया कि अतुल कहता था कि सुलह कराने वाले कोर्ट में कानून के मुताबिक काम नहीं होता है, सुप्रीम कोर्ट के नियम भी यहां नहीं माने जाते हैं। उसे बेंगलुरु से 40 बार जौनपुर जाना पड़ा था। उसकी पत्नी उस पर एक के बाद एक केस दर्ज कराती गई। वह जरूर बहुत थक गया होगा, लेकिन उसने हमें कभी कुछ नहीं कहा। अचानक हमें उसके सुसाइड की खबर मिली। उसने हमारे छोटे बेटे को रात 1 बजे ई-मेल भेजा था। मेरे बेटे ने अपनी पत्नी और उसके परिवार पर जो आरोप लगाए हैं, वो सब सच हैं। वहीं, अतुल के भाई बिकास कुमार ने कहा कि मेरे भाई से अलग होने के 8 महीने बाद उसकी पत्नी ने डिवोर्स का केस दर्ज कराया और मेरे भाई और हमारे पूरे परिवार के खिलाफ अलग-अलग कानूनों और धाराओं में केस दर्ज कराए। इस देश का हर कानून महिलाओं के लिए है, पुरुषों के लिए कोई कानून नहीं है।

मेरे भाई ने इसी के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन वह हमें छोड़कर चला गया। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि अगर मैं सिस्टम से जीतता हूं तभी मेरी अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया जाए, वरना उन्हें कोर्ट के बाहर गटर में बहा दिया जाए। मेरे भाई ने अपनी पत्नी के लिए सब कुछ किया। अगर उसने एक बार भी हमसे बात की होती तो हम इस परिस्थिति से बाहर आने में उसकी मदद करते। मैं भारत सरकार और राष्ट्रपति से अपील करना चाहता हूं कि अगर मेरा भाई सच के साथ है तो उसे न्याय मिलना चाहिए, नहीं तो मुझे इस बात का सबूत दिया जाए कि वो गलत था। मेरे भाई ने जिस जज का नाम अपने सुसाइड नोट में लिखा है, उसकी भी अच्छे से जांच की जानी चाहिए।

Leave A Reply

Your email address will not be published.