दबंगों ने कूट रचित दस्तावेज तैयार कर ठोंका दावा 

 

-जेडीयू नेत्री ने जांच की उठाई मांग

 

ब्यूरो मुन्ना बक्श न्यूज़ वाणी बांदा। ग्राम अतरहट के एक सीधे-सादे परिवार की 1.749 हेक्टेयर भूमि पर कथित ताकतवर दबंगों द्वारा कूट रचित दस्तावेजों के माध्यम से कब्जा किए जाने का मामला सामने आया है। इस प्रकरण में पीड़ित परिवार की मुखिया शालिनी सिंह पटेल ने आयुक्त कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा और न्याय की गुहार लगाई।घटना का विवरण मृतक काश्तकार गोला पुत्र लाले की मृत्यु को 22 वर्ष बीत चुके हैं। इसके बावजूद, दबंगों ने कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से इस जमीन का मालिकाना हक अपने नाम करवा लिया। ग्रामीणों के मुताबिक, अब तक के राजस्व अभिलेख यह स्पष्ट करते हैं कि गोला की मृत्यु के बाद उनकी जमीन उनके असली वारिसानों के नाम पर ही दर्ज रही।एसडीएम पैलानी पर आरोप पीड़िता के अनुसार, उपजिला मजिस्ट्रेट (एसडीएम) पैलानी ने दबंगों के पक्ष में फैसला देते हुए जमीन का मालिकाना हक उन्हें दे दिया। यह फैसला न केवल संदिग्ध है बल्कि सभी नियमों और कानूनों का उल्लंघन करता प्रतीत होता है। शालिनी सिंह पटेल ने एसडीएम पैलानी पर निरंकुशता का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने शासन, राजस्व परिषद और कानून की परवाह किए बिना गलत तरीके से फैसला सुनाया। आयुक्त से न्याय की अपील पीड़ित परिवार ने आयुक्त महोदय के न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की। उनका कहना है कि एसडीएम द्वारा पारित आदेश न्यायोचित नहीं है और यह फैसले पीड़ित परिवार के साथ अन्याय है।आमरण अनशन और आत्मदाह की चेतावनी अधिकारियों की निष्क्रियता और दबंगों के खिलाफ कार्रवाई न होने से आक्रोशित पीड़ित परिवार ने आमरण अनशन पर बैठने और आत्मदाह तक की चेतावनी दी है। शालिनी सिंह ने अपने ज्ञापन में आग्रह किया है कि अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर इस अवैध कार्य में शामिल अधिकारियों को दंडित किया जाए और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया जाए। गांव में तनावपूर्ण माहौल इस पूरे मामले ने गांव में तनावपूर्ण माहौल पैदा कर दिया है। ग्रामीणों ने भी इस घटना की निंदा करते हुए पीड़ित परिवार के पक्ष में आवाज उठाई है। प्रशासन की प्रतिक्रिया इस मामले पर प्रशासन का कहना है कि वे अभिलेखों की जांच कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, पीड़ित परिवार ने जल्द न्याय की उम्मीद जताई है। न्याय की उम्मीद यह मामला न केवल न्याय प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह ताकतवर लोग कानून का दुरुपयोग कर कमजोर लोगों के हक पर डाका डालते हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और पीड़ित परिवार को न्याय मिल पाता है या नहीं।

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