सुसाइड नोट लिखकर, छात्रा ने बिल्डिंग से लगाई छलांग

कानपुर :  कानपुर में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में बिजनेस मैनेजमेंट के भवन की पहली मंजिल से छलांग लगाने वाली छात्रा के पास दो पत्र बरामद हुए हैं। एक पत्र माता-पिता और दूसरा बॉयफ्रेंड के लिए है। पत्र से साफ है कि वह जिंदगी से निराश है। उसे बॉयफ्रेंड से काफी उम्मीद थी, लेकिन कहीं कुछ तो हुआ, जिसके चलते उसका दिल टूट गया। लिखा है कि मैं प्यार के लायक नहीं, बदसूरत हूं,.. लेकिन तुम्हारे बिना जी न सकूंगी। वहीं, माता-पिता को लिखे पत्र में उसने कहा कि वह दूसरे बच्चों की तरह नहीं बन पाई।

बॉयफ्रेंड को लिखे पत्र से उसका डिप्रेशन झलक रहा है। उसने लिखा कि वह खुश है कि तकदीर ने उससे मिलाया, जिस तरह के दोस्त का वह हमेशा से इंतजार कर रही थी। उससे मिलने के बाद जाना कि प्यार क्या होता है। इससे पहले तो वह मौत के इंतजार में जिंदगी काट रही थी। दोस्त के लिए लिखा कि एक रात अचानक तुम आए और मैंने तुम्हें ईश्वर का भेजा दूत मानकर तुम्हारा हाथ थाम लिया। पर, तुमने भी मुझे उठाया तो वापस गिराने के लिए। मैं तुम्हारे लिए भले कुछ भी न हूं पर तुम मेरे लिए सब कुछ हो। तुम्हारे लिए मैं जिंदगी का हर दुख सहने को तैयार हूं। तुम कभी अकेले नहीं रहोगे, मेरी आत्मा हमेशा तुम्हारे आस-पास रहेगी। भगवान मेरी कोई विश पूरी नहीं करते हैं, फिर भी मांग रही हूं। तुमको हमेशा खुश रखे। मैं अपनी पूरी कोशिश करने के बाद भी तुम्हारे लायक नहीं बन पाई। इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। मैं जानती हूं, मैं बदसूरत हूं, प्यार के लायक नहीं, लेकिन तुम्हारे बिना जी न सकूंगी।  मेरी जिंदगी की वजह तुम थे। मन में काफी विचार आ रहे हैं, कि किस तरह जाऊं कि तकलीफ कम हो, लेकिन इन हड्डियों का असंख्य टुकड़ों में टूट जाना ही जरूरी है। जो मेरे प्यार को चुभनी चाहिए। दुख बस इस बात का है कि आखिरी बार तुम्हें जी भर कर नहीं देख पाई।

आई एम सॉरी… मैं दूसरे बच्चों की तरह नहीं हूं
मम्मी-पापा मुझे माफ करना, मैं आप दोनों पर भार बनकर रह गई। मेरे दुनिया में आने से आप लोगों को काफी कष्ट सहने पड़े, न चाहकर भी मुझे झेलना पड़ा। आई एम सॉरी… मैं दूसरे बच्चों की तरह नहीं हूं, जिनसे आपने तुलना की। मैंने आपका प्यार पाने की बहुत कोशिश की, लेकिन आप की अपेक्षाएं और महत्वाकांक्षाएं हमेशा बढ़ती गईं।  मैं खुद को आपकी नजरों में एक बेटी के रूप में देखना चाहती थी, लेकिन हसरत पूरी नहीं हुई। मैंने प्यार, इच्छाएं, संगीत सब त्याग दिया। पापा ने तो कभी प्यार नहीं किया। मां, आप से उम्मीद थी कि आप समझेंगी, लेकिन सब बेकार। शिक्षकों से भी शिकायत है, जिन्होंने उसे हमेशा लूजर कहा। लिखा कि मेरे मृत शरीर को दूर एक सुनसान जगह पर डाल देना, जहां मैं शांति से सोना चाहती हूं।

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