ढक्कन बना जानलेवा, 14 महीने के बच्चे की दर्दनाक मौत

 

 बांसवाड़ा के लोहारी थाना सरेड़ी बड़ी कस्बा निवासी हीरेन जोशी का 14 महीने का बेटा मानविक सोमवार रात 9 बजे विक्स की डिब्बी से खेल रहा था। इस दौरान उसने ढक्कन निगल गया था। परिजन मानविक को सरेड़ी बड़ी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। वहां एक नर्स और चपरासी ही थे। कोई डॉक्टर नहीं था। ऐसे में परिजन बच्चे को लेकर बांसवाड़ा जिला अस्पताल के लिए निकले, लेकिन रास्ते में बच्चे की मौत हो गई। परिजन घर लौट गए। रात 10 बजे परिजन और अन्य लोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और हंगामा कर दिया।

परिजन का आरोप है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टरों की गैर मौजूदगी के कारण बच्चे को तत्काल इलाज नहीं मिला। इससे उसकी जान चली गई। उन्होंने हॉस्पिटल को ताला लगा दिया। अस्पताल प्रशासन और चिकित्सा विभाग के खिलाफ नारेबाजी की। पीड़ित पिता ने बताया- मैं सरकारी टीचर हूं। मानविक की मां गृहिणी है। दो बेटियों के बाद करीब 18 साल बाद बेटा हुआ था। बेटियां जयपुर में पढ़ाई करती हैं। बेटे के लिए हमने काफी मन्नतें मांग रखी थीं। मानविक के जन्म से पूरा परिवार खुश था।  प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि इमरजेंसी में अस्पताल पहुंचने पर वहां अक्सर कोई नहीं मिलता।

डॉक्टर की अनुपस्थिति से कस्बे सहित आसपास के पूरे क्षेत्र में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। लोगों ने मांग की कि स्टाफ को तुरंत बर्खास्त किया जाए और दूसरे डॉक्टरों व स्टाफ की नियुक्ति की जाए। मौके पर उप पुलिस अधीक्षक गढ़ी सुदर्शन सिंह पालीवाल और थाना इंचार्ज रोहित कुमार के नेतृत्व में पुलिस पहुंची। विरोध कर रहे लोग बांसवाड़ा चीफ मेडिकल ऑफिसर और ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी (BCMO) को मौके पर बुलाने की मांग पर अड़ गए। ऐसे में बांसवाड़ा चीफ मेडिकल ऑफिसर हीरालाल ताबियार और BCMO दीपिका रोत ने फोन पर बात की।

लेकिन, लोग उन्हें मौके पर आने की मांग करने लगे। रात करीब 10:30 बजे दीपिका रोत मौके पर पहुंचीं और समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया। इसके बाद लोगों ने प्रदर्शन खत्म किया।  सरेड़ी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दो डॉक्टर तैनात हैं। इनमें से एक डॉ. शुभम वर्मा सोमवार को अवकाश पर थे। दूसरे डॉक्टर डॉ. क्षितिज जैन की यूटीबी (अर्जेंट टेम्परेरी बेसिस) स्कीम के तहत नियुक्ति है। डॉ. क्षितिज दिनभर ओपीडी में थे। शाम को तलवाड़ा स्थित अपने घर चले गए थे।

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