पंजाब के वाघा बॉर्डर के रास्ते मुंबई की रहने वाली हमीदा बानो 22 साल बाद वतन लौटी है। 22 साल पहले वे ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार हुई थी। 2 साल पहले पाकिस्तानी यू-ट्यूबर ने उसकी स्टोरी को ब्रोडकॉस्ट किया और आज वे भारत में वापस लौट सकी है। दोनों देशों को हमीदा की पहचान करने में 2 साल का समय लग गया। हमीदा बताती हैं कि उनके पिता गुल मोहम्मद थे और मां अमीना बोनो। वे 7 भाई बहन हैं। जिनमें से 4 भाई और तीन बहनें हैं। उनका घर मुंबई के कुर्ला कुर्रेश नगर, रेलवे स्टेशन के पास था। उनके पति का देहांत हो गया था और सिर पर छत और खाने के लिए रोटी नहीं थी। उनके दो बेटे यूसुफ व फजल और दो बेटियां यासमीन व प्रवीण हैं।
उन्होंने बच्चों के पालन पोषण के लिए विदेश में काम करने का मन बनाया। 9 महीने दोहा कतर रहीं। जो पैसा कमाया उससे दोनों बेटों की शादी की। फिर वे 6 महीने दुबई में रही और वापस आई। साऊदी में 3 महीने काम किया। लेकिन 2002 में उसे दुबई भेजने की जगह प्लेन से पाकिस्तान पहुंचा दिया गया। हमीदा ने बताया कि उसके पास पैसे भी नहीं थे। कुछ रुपए उसने अपनी सलवार में छिपा कर रखे थे। एक बार परिवार से बात करने की कोशिश की, लेकिन नंबर बदल चुके थे और किसी और ने फोन उठाया। उसके बाद आस टूट गई और वे इस्लाबाद पहुंच गई। जहां उसका निकाह हुआ।
हमीदा बताती हैं कि उनके साथ 500 महिलाएं थी। वे विभिन्न राज्यों से थी और उन्हें दुबई के नाम पर अलग-अलग देशों में भेजा गया। आज तक नहीं पता चला कि वे महिलाएं कहां गई। इस्लामाबाद में दो साल पहले उसका संपर्क स्थानीय यू-ट्यूबर से हुआ। जिसने उसके परिवार को मुंबई में ढूंढने का प्रयास किया। दो साल पहले 2022 में उसने अपने बेटों, बेटियों, बहन-भाई से बात की। हमीदा बताती हैं कि 2022 में यू-ट्यूबर वल्लिउल्लाह महरूफ ने पाकिस्तान से और मुंबई में उसके बच्चों ने उसे वापस लाने के प्रयास शुरू किए। धीरे-धीरे रास्ते खुलने लगे। दो साल का समय दोनों देशों के बीच डॉक्यूमेंटशन से लग गया और अब वे वापस भारत लौटी हैं।