अनशन के दौरान बेहोश डल्लेवाल: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को दी जिम्मेदारी

 

किसानों को फसल पर MSP के गारंटी कानून के लिए 24 दिन से अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत बिगड़ गई है। डल्लेवाल गुरुवार सुबह अचानक बेहोश होकर गिर गए। उन्हें उल्टियां भी हुईं। 10 मिनट बाद वे होश में आए। पुलिस के सीनियर अधिकारी खनौरी बॉर्डर पहुंचे हुए हैं। डल्लेवाल का ब्लड प्रेशर काफी कम हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को किसान आंदोलन पर सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से सवाल किया कि 70 साल का आदमी 24 दिन से भूख हड़ताल पर है। कौन डॉक्टर है, जो बिना किसी टेस्ट के डल्लेवाल को सही बता रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले 18 दिसंबर को भी इस मामले पर सुनवाई की थी। राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि डल्लेवाल पर ढिलाई न बरतें। वह जन नेता हैं। उनसे किसानों की भावनाएं जुड़ी हैं। उनकी सेहत का ध्यान रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।

टॉर्नी जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा- हमने रातभर में काफी कुछ बातचीत की है। पहले डल्लेवाल विरोध कर रहे थे, लेकिन अब हमने डॉक्टरों की एक टीम वहां बैठा दी है। एक जगह है हवेली, उसे अस्पताल बना दिया गया है। वहां सभी इमरजेंसी सेवाएं हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वहां कैसे अस्पताल की सुविधाएं ले जा सकते हैं, क्या डल्लेवाल को वहां ले जाया गया है? डल्लेवाल आज सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखना चाहते हैं। उनसे बातचीत में हमें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन सबसे पहले हम यह चाहते हैं कि उनका इलाज किया जाए। प्राथमिकता पर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा है। समस्या यह है कि तीन-चार हजार लोग इकट्ठा हैं, जो उन्हें हटाने का विरोध कर रहे हैं। कोई गाड़ी वहां से नहीं निकल सकती। हमें उनकी ब्लड रिपोर्ट दिखाइए। अभी तक तो डल्लेवाल ठीक हैं। आपके अफसर किस तरह के जवाब दे रहे हैं। धरनास्थल पर 3000- 4000 लोग मौजूद हैं। अगर वहां किसी तरह का कन्फ्रंटेशन होता है तो वहां बड़ा हादसा हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “डल्लेवाल पब्लिक पर्सनालिटी हैं। उनके साथ किसानों के हित जुड़े हुए हैं। वो कहते हैं कि 700 किसानों की जिंदगी उनके जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसलिए वो मेडिकल सहायता के लिए मना कर रहे हैं। सरकार के साथ उनके सैद्धांतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन प्रदर्शन के लिए डल्लेवाल का स्वस्थ रहना जरूरी है।” पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल ने कहा कि हमने बातचीत की कोशिश की थी, लेकिन किसानों ने मना कर दिया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “सरकार कह रही है कि किसानों को सीधे कोर्ट में अपनी बात रखने की इजाजत दी जाए। हमारे दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं। वे यहां सीधे आकर सुझाव या मांगें पेश कर सकते हैं या फिर अपना प्रतिनिधि भेज सकते हैं।” 13 फरवरी 2024 से शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन चल रहा है। इसके अलावा खनौरी बॉर्डर पर भी किसान धरने पर बैठे हैं। यहां हरियाणा पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें दिल्ली जाने से रोका हुआ है। 10 जुलाई 2024 को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि एक हफ्ते में शंभू बॉर्डर को खोला जाए। इसके खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई।  12 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने एंबुलेंस, सीनियर सिटिजन्स, महिलाओं, छात्रों के लिए शंभू बॉर्डर की एक लेन खोलने के लिए कहा। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई, जिसे सरकार और किसानों के बीच मध्यस्थता करनी थी। कमेटी ने 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी, जिसमें उन्होंने कहा कि आंदोलन करने वाले किसान बातचीत के लिए नहीं आ रहे। किसानों से उनकी सुविधा के अनुसार तारीख और समय भी मांगा गया था, लेकिन उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।  वहीं चंडीगढ़ के सेक्टर 35 स्थित किसान भवन में हरियाणा की खाप पंचायतों की मीटिंग हुई। जिसके बाद उन्होंने किसान आंदोलन को समर्थन दे दिया। इसको लेकर 29 दिसंबर को हिसार में खाप महापंचायत की जाएगी।

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