कानपुर- पनकी क्षेत्र निवासी कक्षा नौ की छात्रा 15 नवंबर 2016 को साइकिल से स्कूल गई थी। दोपहर एक बजे रोती हुई घर लौटी तो उसके नाना ने पूछताछ की। छात्रा ने बताया था कि स्कूल जाते समय उसे मोहल्ले के हॉस्टल में रहने वाला अंकित यादव मिला जो उसे घुमाने के बहाने रेलवे स्टेशन ले गया। वहां उसका दोस्त जितेंद्र कुमार पहले से खड़ा था। उसकी साइकिल स्टैंड पर खड़ी कराकर दोनों प्राइवेट बस से उसे क्षेत्र के एक स्कूल के पास ले गए। वहां से पास की झाड़ियों में ले गए, जहां उसके दोस्त कल्लू, करन व विशाल मौजूद थे। सभी ने उससे दुष्कर्म किया और धमकाकर भगा दिया। इसके बाद पीड़िता के नाना ने पनकी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अंकित के खिलाफ एससीएसटी एक्ट का आरोप भी लगा था। अभियोजन की ओर से पीड़िता व उसके नाना-नानी समेत दस गवाह कोर्ट में पेश किए गए। सबूतों और गवाहों के आधार पर कोर्ट ने अंकित, जितेंद्र, करन व विशाल को दोषी मानकर सजा सुनाई, जबकि सबूतों के अभाव में कल्लू को दोषमुक्त करार दिया है। विशेष लोक अभियोजक भावना गुप्ता ने बताया कि पीड़िता ने कोर्ट में चार अभियुक्तों को तो पहचान लिया था लेकिन कल्लू को पहचानने से इन्कार कर दिया था। उसने कोर्ट में कहा था कि जिस कल्लू ने दुष्कर्म किया था, अदालत में मौजूद कल्लू वह नहीं है। इसी आधार पर कोर्ट ने कल्लू को दोषमुक्त करार दे दिया। भावना ने बताया कि सजा पाए अंकित व जितेंद्र की उम्र 26 साल, विशाल की 27 साल और करन की 38 साल है। जमानत न मिलने के कारण अंकित सात साल से जेल में ही बंद है। करन को इस मुकदमे में तो जमानत मिल गई थी लेकिन दूसरे मुकदमे में वह तीन साल से जेल में बंद है। जितेंद्र व विशाल जमानत पर बाहर थे।