प्रकृति और पर्यावरण का आखिर दुश्मन कौन

आगरा। न्यूज़ वाणी। मनुष्य ने आज तक जितने विकास और उन्नत के रास्ते अपनाये ,जितने भी आविष्कार किए हैं सब के सब प्रगति और पर्यावरण के विरोध में ही है । जैसे प्लास्टिक पॉलिथीन का आविष्कार कर मानव जाति जीव जंतुओं के अलावा मानव जाति पर खतरनाक असर पड़ा है पॉलिथीन ने जीव जंतुओं को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा। पॉलिथीन कैसा पदार्थ है जो की सबसे ज्यादा ज्वलनशील होने के अलावा कभी नष्ट न होने वाला पदार्थ है मनुष्य के भोजन पकाने से लेकर जंगल से लकड़ी काटकर धुआं पैदा करने का काम भी मनुष्य नहीं किया है। मनुष्य ने अपने विकास के लिए औद्योगीकरण की नीति को अपनाया बड़े-बड़े उद्योग लगाए जिससे वैश्विक स्तर पर प्रदूषण वायु अपशिष्ट पदार्थों के साथ नदियों नालों से होते हुए समंदर में विसैले अपशिष्ट को छोड़ने से शुद्ध जल विषैला होकर जीव जंतुओं को भी नष्ट कर रहा है। इसके अलावा प्राकृतिक रूप से ज्वालामुखी ने भी पर्यावरण को नष्ट करने का भी काम किया है।। मनुष्य ने अपनी सुख सुविधा को देखते हुए अपने घरों में ऑफिस में वत अनुकूलित यंत्रों को लगाए जाने से ग्लोबल वार्मिंग बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है।यह सबसे ज्यादा मनुष्य के लिए नुकसानदेह है। मंच जाति को पृथ्वी पर निवास करने के लिए शुद्ध वायु हरे-भरे वृक्षों का होना अत्यंत जरूरी है लेकिन मनुष्य ही मैंने खत्म करता जा रहा है। पर्यावरण की अशोक अच्छा सुरक्षित हैं ना धरती बन जलवायु ही सुरक्षित है जिससे जीव जंतु और मानव जाति का जीवन भी सुरक्षित नहीं रह जाएगा। मानव जाति को अपने को बचाने के लिए अपने जीवन को अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए सबसे पहले हमें प्राकृतिक और पर्यावरण पर ध्यान देना होगा। यहां हम प्रकृति पर्यावरण को यदि व्याख्या करें तो पर्यावरण विदों के अनुसार पर्या चारों तरफ से, जो जान तू प्रकृति और मनुष्य को चारों तरफ से ढक कर उसे अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। इसीलिए मानव जाट जीव जंतु वृक्ष सभी को स्वच्छ जीवन देने के लिए एक पर्यावरण के वातावरण की निरंतर महत्वपूर्ण उपस्थिति आवश्यक है जब जलवायु प्रकृति और मानवीय छावनी कार्यों से कुछ ऐसे तत्व वातावरण में प्रवेश कर जाते हैं जिससे हमारी प्रकृति हमारा पर्यावरण प्रदूषित होने लगता है। और मानव जीवन प्रकृति के साथ नष्ट होने की कगार पर खड़ा होने लगता है और हमारा जीवन खतरे में आ जाता है। इसके कई उदाहरण है जैसे अभी भोपाल में नक नक गैस दिशाओं में पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जिसके बिगड़ जाने से हजारों लोगों की मौत हो गई और आज भी भोपाल में मानव जाति में अनेक बीमारियों को जन्म दिया आज भी भोपाल वासी इसका डंक झेल रहे हैं। दूसरा उदाहरण मैं 2020 को आंध्र प्रदेश के पॉलीमर कंपनी द्वारा स्टाइल नमक गैस का रिसाव हुआ जून में असम गैस रिसाव से मानव जीवन को प्रभावित कर पूरे पर्यावरण को दूषित कर मानव जाति ही नहीं जीव जंतुओं का भी जीवन प्रभावित हुआ। यदि पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो मानव जाति जीव जंतु सुरक्षित रह पाएंगे। प्रदूषण को हमें सदैव वायु प्रदूषण जाने की ज्वालामुखी विस्फोट जंगल की आज कोहरा परागकण अलका पाठ 8 प्राकृतिक स्रोतों से उत्पन्न वायु प्रदूषण से नियंत्रण में रखकर उसका संरक्षण करने का प्रयास करना होगा मानवी क्रियाकलाप भी प्रकृति तथा पर्यावरण और वातावरण के लिए खतरा बनते जा रहे हैं जिस तरह वनों की कटाई हो रही है मोटर वाहनों का प्रयोग हो रहा है लकड़ी ,कोयला आदि पदार्थों के जलने से जो बेटा सा विषैली गैसें निकलती हैं ।यह कहीं ना कहीं मानव जाति को प्रभावित करती है। वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने में मोटर गाड़ियों का धुआं कारखाने से निकलने वाला धुआं, ताप विद्युत गृह खनन और रासायनिक पदार्थों के साथ आतिशबाजी द्वारा वायु प्रदूषण में वृद्धि करने का भी एक कारण है। कहने का आशय है की वातावरण में उपस्थित विषैली गैस पदार्थ के कारण मानव जाति में अंधापन त्वचा संबंधी रोग फेफड़ों की बीमारियां दमा रोग जैसे रोगों की बढ़ोतरी होती जा रही है जहां तक पिछले दिनों कोविड-19 के संक्रमण में पर्यावरण प्रदूषण के कारण जो मानव जाति को फेफड़ों को स्वच्छ ऑक्सीजन नहीं मिलने से लाखों लोगों की मृत्यु हो गई यह एक पर्यावरण असंतुलन का सबसे बड़ा उदाहरण है। आज ही हम संकल्प लें की हम सभी लोग पर्यावरण को बचाने के लिए एक पौधा अपने हाथों से जरुर लगाएंगे यदि देश की 130 करोड़ की जनता ने एक पौधा भी लगाया मैं समझता हूं 130 करोड़ पौधे मानव जाति व जीव जंतुओं की रक्षा करने के लिए पर्याप्त होंगे।

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