नई दिल्ली। कच्चे तेल का उत्पादन 10 लाख बैरल रोजाना करने के ओपेक के फैसले के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बीते हफ्ते तेल के दाम में जबरदस्त तेजी आई और न्यूयार्क मर्केटाइल एक्सचेंज (नायमेक्स) पर अमेरिकी क्रूड यानी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) का अगस्त वायदा 5.66 फीसदी उछाल के साथ 69.25 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। विशेषज्ञ का कहना है कि दाम में गिरावट आएगी और डीजल व पेट्रोल की कीमतों में और गिरावट आएगी। ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने आईएएनस से बातचीत में कहा कि आने वाले दिनों में दाम में गिरावट आने की पूरी उम्मीद है, जिससे भारत में कच्चे तेल का आयात सस्ता होगा और 2018 की दूसरी छमाही में डीजल व पेट्रोल की कीमतों में नरमी बनी रहेगी।
ओपेक (ऑगेर्नाइजेशन ऑफ पेट्राोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्ररीज) की वियना में हुई बैठक में शुक्रवार को कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाकर रोजाना 10 लाख बैरल करने का फैसला लिया गया। इस बैठक में ओपेक में शामिल 14 देशों के अलावा रूस समेत गैर-ओपेक तेल उत्पादक देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे। नरेंद्र तनेजा ने कहा, ओपेक का फैसला अगर लागू होता है तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अल्पावधि में कच्चे तेल की कीमतें घटेंगी जिससे भारत में तेल का आयात सस्ता होगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 की दूसरी छमाही में डीजल और पेट्रोल की कीमतें नियंत्रण में रह सकती हैं, लेकिन कच्चे तेल की बढ़ती मांग के मद्देनजर आगे 2019 में कीमतों पर नियंत्रण रखना मुश्किल होगा। ओपेके के फैसले के बाद हालांकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में जोरदार तेजी देखी गई। इस पर उर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने बताया कि ओपेक द्वारा की गई आधिकारिक घोषणा को अमल में लाने को लेकर अभी बाजार में संदेह की स्थिति बनी हुई है, इसलिए तेल के दाम में गिरावट के बजाय तेजी आई।
उन्होंने कहा, वजह साफ है कि तेल उत्पादक देशों के बीच सहमति पर असमंजस की स्थिति दूर नहीं हुई। तेल क्रेता और बिक्रेता कंपनियों को इस फैसले के लागू होने पर संदेह है इसलिए बैठक के बाद बाजार की प्रतिक्रिया फैसले के विपरीत देखने को मिली है। न्यूयार्क मर्केटाइल एक्सचेंज (नायमेक्स) पर अमेरिकी क्रूड यानी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) का अगस्त वायदा 5.66 फीसदी उछाल के साथ 69.25 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ।